पारा 32 डिग्री के पार, समय से पहले गर्मी की दस्तक से किसानों के छूटे पसीने
गर्मी ने इस बार जल्दी दस्तक दे दी है। इसके कारण किसानों के पसीने छूटने लगे हैं। दरअसल, अचानक बढ़ी गर्मी से गेहूं की फसल को नुकसान हो सकता है।

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब सहित उत्तर भारत के कई क्षेत्रों में इस समय पारा 32 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंच गया है। अचानक बढ़ी गर्मी के कारण किसानों के पसीने छूटने लगे हैं, क्योंकि गेहूं की फसल पकने को तैयार है। खासतौर पर पंजाब में इस समय गेहूं के दाने तरल अवस्था में हैं और उन्हें सही दाना बनने में कुछ दिन का और समय लगेगा, लेकिन अचानक तापमान बढ़ने से गेहूं की पैदावार पर बुरा असर पड़ सकता है।
मौसम विभाग के अनुसार शनिवार तक बारिश होने की संभावना नहीं है, जबकि आने वाले दिनों में पारा 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर ही रहेगा। मंगलवार से लेकर शुक्रवार तक बादल जरूर छाए रहेंगे, लेकिन पारा ज्यादा नीचे न आने की संभावना कम है।
खेतीबाड़ी विभाग के कमिश्नर डॉ. बलविंदर सिंह सिद्धू का भी मानना है कि इस समय एक बारिश बहुत जरूरी है, क्योंकि अभी दाना बनने की प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा, इस समय बरसात होना बहुत जरूरी है। फसल के रंग और रूप को देखकर लग रहा था कि इस बार पैदावार पिछले साल के मुकाबले अधिक होगी, लेकिन अब अचानक खतरा बढ़ गया है।
गेहूं खरीद के लिए पंजाब ने मांगी 21 हजार करोड़ की सीसीएल
गेहूं की खरीद करने के लिए पंजाब को केंद्र सरकार से 21 हजार करोड़ रुपये की दरकार है। एग्रीकल्चर विभाग ने 130 लाख टन गेहूं मंडियों में आने का अनुमान दिया है, जिसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। फूड एंड सप्लाई विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी केएपी सिन्हा ने बताया कि पिछले साल पंजाब की खरीद एजेंसियों ने 104 लाख टन गेहूं खरीदी थी, जबकि एफसीआइ ने 16 लाख टन । इस साल 130 लाख टन होने का अनुमान है और इसी के अनुरूप हमने 21 हजार करोड़ रुपये की कैश क्रेडिट लिमिट मांगी है।
जीएसटी के 952 करोड़ को लेकर फंसा पेंच
21 हजार करोड़ की कैश क्रेडिट लिमिट को लेकर एक बार फिर से बाधा खड़ी हो गई है। पिछले साल खरीदी गई गेहूं का 952 करोड़ रुपये का मामला अभी तक लटका हुआ है, क्योंकि एक जुलाई के बाद वैट सिस्टम खत्म होकर जीएसटी लागू हो गया। चूंकि खाद्यान्न पर लगा हुआ चार फीसद वैट जीएसटी में खत्म हो गया।
पिछले साल अप्रैल में खरीदी गई गेहूं पर 4 फीसद वैट के हिसाब से फूड एंड सप्लाई विभाग ने सीसीएल के अकाउंट से अदा कर दिए, लेकिन अब इसका हिसाब केंद्र और राज्य के अकाउंट में खड़ा है। सिन्हा ने बताया कि यह मामला एफसीआइ और केंद्रीय वित्त मंत्रालय के पास उठाया है, लेकिन अभी तक यह क्लियर नहीं हुआ है।

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