Updated: Thu, 04 Sep 2025 08:59 PM (IST)
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अमृतसर नगर निगम को स्वर्ण मंदिर के पास अवैध निर्माण के मामले में नोटिस जारी किया है। याचिका में आरोप है कि न्यायालय के आदेशों के बावजूद स्वर्ण मंदिर गलियारे के आसपास अवैध निर्माण हो रहा है जिसमें नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। अदालत ने नगर निगम और राज्य सरकार से जवाब मांगा है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार और अमृतसर नगर निगम को जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि पूर्व के न्यायालय के निर्देशों और सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले के बावजूद स्वर्ण मंदिर गलियारे के आसपास नए अवैध निर्माण किए गए हैं।
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बाग रामानंद निवासी 77 वर्षीय जगदीश सिंह ने दायर जनहित याचिका में दावा किया है कि बाग रामानंद के निकट सील की गई संपत्ति को अमृतसर वाल्ड सिटी (भवन) अधिनियम, 2016 और भवन उप-नियमों का उल्लंघन करते हुए होटल में परिवर्तित किया जा रहा है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि नगर निगम द्वारा लगाई गई सीलें तोड़ दी गई हैं और अधिकारियों की नाक के नीचे निर्माण कार्य चल रहा है। चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने हाई कोर्ट के पूर्व आदेशों पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से लगाई गई रोक के मद्देनजर याचिका की स्वीकार्यता पर सवाल उठाए, लेकिन अधिकारियों से जवाब मांगने पर सहमति जताई।
खंडपीठ ने कहा कि किसी भी निर्माण कार्य में नगर निगम के कानूनों का सख्ती से पालन होना चाहिए। खंडपीठ ने निर्देश दिया कि अमृतसर नगर निगम और राज्य सरकार अगली सुनवाई की तारीख 15 अक्टूबर तक अपना जवाब दाखिल करें।
याची की ओर से दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट ने 2019 के हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें धर्मस्थल के पास निर्माण पर रोक लगाई गई थी और 2016 के अधिनियम पर भी रोक लगा दी गई थी।
उन्होंने तर्क दिया कि यद्यपि अधिनियम लागू है, फिर भी विशेषज्ञ समिति की पूर्व स्वीकृति और संरचनात्मक सुरक्षा मानदंडों के अनुपालन के बिना नए ढांचे नहीं बनाए जा सकते। इनमें से कुछ भी नहीं किया जा रहा है। उन्होंने नगर निगम द्वारा सीलिंग और बिजली काटने के लिए जारी किए गए नोटिस और तस्वीरें भी पेश कीं।
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता के पास वीडियो रिकाग हैं जिनमें दिखाया गया है कि कर्मचारी परिसर के पीछे से प्रवेश कर रहे हैं, जबकि सामने का हिस्सा सीलबंद दिखाई दे रहा है। अदालत ने कहा कि पिछले निर्देशों में अमृतसर वाल्ड सिटी (भवन) अधिनियम, 2016 और भवन उप-कानून, 2019 का पालन करना आवश्यक था। इसने याचिकाकर्ता को सहायक सामग्री के साथ एक हलफनामा पेश करने की अनुमति दी और नोटिस जारी करने के बाद मामले को स्थगित कर दिया।
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