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    आंखों की रोशनी गई पर सपने देखते रहे... जज्बे का दूसरा नाम है अमृतसर के IAS Rupesh का जीवन

    By Pankaj DwivediEdited By:
    Updated: Mon, 30 Nov 2020 11:19 AM (IST)

    आईएएस रुपेश अग्रवाल (IAS Rupesh Agarwal) को दुर्लभ बीमारी थी। इस कारण धीरे-धीरे उनकी आंखों की रोशनी जाती रही। फिर भी उन्होंने कभी सपने देखना नहीं छोड़ा। पहले ही प्रयास में यूपीएससी क्लीयर करके अपना ख्वाब पूरा किया है। आजकल चंडीगढ़ में ट्रेनिंग पर हैं।

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    आईएएस रुपेश अग्रवाल इस समय चंडीगढ़ में ट्रेनिंग पर हैं। (जागरण)

    चंडीगढ़ [सुमेश ठाकुर]। रेंटिनाइटिस पिगमेंटोसा (Rentinitis Pigmentosa-RP Disease)। यह कठिन नाम आंखों की एक दुर्लभ बीमारी का है। इसमें नज़र धीरे-धीरे खत्म होती जाती है। आईएएस रुपेश अग्रवाल (IAS Rupesh Agarwal)। सरल नाम है, अमृतसर के रहने वाले हैं। आज वे पूरी तरह विजुअली चैलेंज्ड हैं। यानी देख नहीं सकते हैं। धीरे-धीरे आंखों की रोशनी जाती रही पर उन्होंने कभी सपने देखना नहीं छोड़ा। पहले ही प्रयास में यूपीएससी क्लीयर करके अपना ख्वाब पूरा किया है। आजकल चंडीगढ़ में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनिंग पर हैं। उनका जीवन संघर्ष हमें एक सीख देता है- सपने जरूर देखें और उन्हें साकार करने में जुटे रहें। सफलता जरूर कदम चूमेगी। 

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    आईएएस रुपेश अग्रवाल (IAS Rupesh Agarwal) बताते हैं कि बचपन से आरपी बीमारी के कारण उनकी आंखों की रोशनी खत्म हो रही थी। साल दर साल समस्या बढ़ती गई। वर्ष 2001 में कंप्यूटर इंजीनियरिंग में ग्रैजुएशन कर रहे थे कि पिता का देहांत हो गया। मां ने तब जोर देकर एग्जाम देने भेजा था। कहा- पिता का सपना था कि बच्चे पढ़ें, आगे बढ़ें। ग्रेजुएशन के बाद IAS रुपेश अग्रवाल ने मामा का बिजनेस में हाथ बंटाया और परिवार का सहारा बने। फिर अपना खुद का टुल्लू पंप का काम किया। वर्ष 2016 में पंजाब के वाटर सप्लाई विभाग में क्लर्क के तौर ज्वाइनिंग की। वहां आफिस के साथियों ने मोटिवेट किया तो वर्ष 2018 में यूपीएससी की परीक्षा दी। पहले ही प्रयास में आईएएस बन गए। वह यूटी काडर में हैं।

    विजुअली चैलेंज्ड व्यक्तियों से ली प्रेरणा

    आईएएस रूपेश अग्रवाल (IAS Rupesh Agarwal) ने कहा कि नज़र जाने के बाद भी उन्होंने कभी यह महसूस नहीं किया कि आगे क्या होगा। वह बचपन से ही हर बात के साकारात्मक और नाकारात्मक पहलू को देखकर और उसे स्वीकार करते हुए आगे बढ़ते हैं। वह कहते हैं, जब उनकी आंखों की रोशनी जा रही थी, तब उनके सामने बहुत से विजुअली चैलेंज्ड व्यक्तियों की मोटिवेशन थी। उन्हीं को आगे रखकर प्रयास किया और आज समाज की सेवा के लिए तैयार हूं।

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