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    'हुनर की उड़ान' बना रही अनाथ बच्चों को सशक्त, आर्ट एंड क्राफ्ट का काम सीख कर रहे आर्थिक स्थिति को मजबूत

    Updated: Sun, 06 Jul 2025 11:37 PM (IST)

    चंडीगढ़ के अनाथ आश्रम और बाल सुधार गृह के लगभग 200 बच्चे हुनर की उड़ान प्रोजेक्ट के तहत आर्ट एंड क्राफ्ट सीख रहे हैं। सोशल वेलफेयर विभाग द्वारा शुरू किए गए इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य बच्चों के हुनर को निखारना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। बच्चे पेंटिंग और डेकोरेशन का सामान बना रहे हैं जिसे सृजन स्टोर में बेचा जाता है।

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    'हुनर की उड़ान' बना रही अनाथ बच्चों को सशक्त। फोटो जागऱण

    सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़। अपनों ने भले ही साथ छोड़ दिया, लेकिन हुनर हमारे अंदर आज भी जिंदा है। हुनर के सहारे हम भी उड़ान भर सपनों को छू सकते है। इसी कथनी को सच कर दिखा रहे है शहर के चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन (सीसीआइ) अनाथ आश्रम और बाल सुधार गृह के बच्चे।

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    बच्चों के हुनर की पहचान दिलाने और उन्हें तकनीकी तौर पर मजबत करने के लिए सोशल वेलफेयर विभाग चंडीगढ़ ने हुनर की उड़ान प्रोजेक्ट की लांचिंग की है। प्रोजेक्ट के तहत स्नेहालय मलोया, आशियाना सेक्टर-15 और बाल सुधार गृह सेक्टर-25 में रहने वाले 200 के करीब बच्चों को आर्ट एंड क्राफ्ट से जोड़कर रचनात्मक बनाया जा रहा है।

    बच्चे आर्ट एंड क्राफ्ट सीखकर खुद के हुनर को निखार रहे है, तो वहीं उस सीखने की प्रक्रिया के दौरान तैयार हुए आर्ट एंड क्राफ्ट के सामान को सोशल वेलफेयर विभाग पुलिस विभाग के सहयोग से स्थापित सेक्टर-22 स्थित सृजन स्टोर में जाकर बेच रहा है।

    बेचने के बाद जो भी आमदनी हो रही है वह बच्चों के बैंक खाते में जमा हो रही है ताकि वह बालिग होने के बाद या बाल सुधार गृह से बाहर आने के बाद खुद का जीवन यापन बेहतर तरीके से कर सकें।

    आर्ट एंड क्राफ्ट का काम सिखाने के लिए रखे है मेंटर

    बच्चों को स्कूली पढ़ाई के बाद शाम को या छुट्टी वाले दिन आर्ट एंड क्राफ्ट का काम सिखाया जा रहा है, जिसमें वह पेटिंग बनाने से लेकर बाटल को डेकोरेट करना, दीया और पत्थरों को विभिन्न प्रकार के रंगों से सजाकर तैयार कर रहे हैं।

    यह सामान घर में ड्राइंग रूम से लेकर बैड रूम की शोभा बढ़ा रहा है। आर्ट एंड क्राफ्ट का काम सिखाने के लिए मेंटर रखे गए हैं जो कि बच्चों को सीखने का काम करते है और सोशल वेलफेयर विभाग उन्हें मानदेय देता है।

    अधिकारी है कायल, लगातार कर रहे है खरीददारी

    बच्चों की तरफ से तैयार किए गए सामान के प्रशासनिक अधिकारी मुरीद है। चीफ सेक्रेटरी से लेकर सोशल वेलफेयर सचिव और उसके बाद प्रशासन के अधिकारी भी बच्चों की तैयार किए हुए सामान को खरीदने के लिए लगातार पहुंच रहे हैं।

    हर आइटम पर नाम के साथ कोड अंकित

    जो भी आइटम बच्चा तैयार करता है उसके साथ उसका नाम और एक कोड अंकित किया जा रहा है। सृजन स्थित स्टोर पर जैसे ही सामान बिकता है तो उसका बिल कटने के समय नाम और कोड आइडी जनरेट की जा रही है। नाम और कोड आइडी के आधार पर सोशल वेलफेयर विभाग पैसा बच्चों के खाते में जमा करवा रहा है।

    जीने के लिए हुनर का निखार जरूरी

    बच्चों द्वारा तैयार किए जा रहे सामान को देखकर प्रशासक गुलाब चंद कटारिया भी प्रशंसा कर चुके है। तीन जून को टैगोर थिएटर में आयोजित बाल सभा में प्रशासक ने कहा कि हम इन बच्चों को उनके हनुर से पहचान देंगे ताकि यह समाज में सिर उठाकर जी सकेंगे। बच्चों को रचना से जोड़ने के बाद वह अपना जीवन भी बेहतर व्यतीत कर पाएंगे।