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    फसलों पर कैसे तय होती है MSP, सरकारें किस फॉर्मूले का करती हैं इस्तेमाल; एक्सपर्ट से जानें सब कुछ

    न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित हाई पावर कमेटी के साथ बैठक में खेती लागत एवं मूल्य आयोग के चेयरमैन विजयपाल शर्मा ने बताया कि सभी राज्यों में तीन सौ किसानों की फसलों पर खर्च के आधार पर एमएसपी तय होता है। इस लेख में हम एमएसपी निर्धारण के फॉर्मूले और प्रक्रिया को विस्तार से समझेंगे।

    By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Tue, 07 Jan 2025 11:30 PM (IST)
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    Farmers Protest: किसानों की फसलों पर कैसे तय होता है एमएसपी (जागरण फोटो)

    इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित हाई पावर कमेटी के साथ बैठक में खेती लागत एवं मूल्य आयोग के चेयरमैन विजयपाल शर्मा ने बताया कि सभी राज्यों में तीन सौ किसानों की फसलों पर खर्च के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय होता है।

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    संयुक्त किसान मोर्चा के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल इन दिनों एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी की मांग को लेकर 43 दिन से अनशन पर बैठे हुए हैं। इस कारण पूरे देश के किसानों में एमएसपी को लेकर उत्सुकता जगी हुई है। ज्यादातर लोगों को यह पता नहीं है कि यह तय कैसे होती है? इसका फॉर्मूला क्या है ? या खेती लागत एवं मूल्य आयोग अपनी मर्जी से यह तय कर देता है।

    क्या है एमएसपी

    आसान भाषा में समझें तो सरकार, किसानों द्वारा उगाए गए फसल के लिए एक दाम तय करती है, जिसे फसल पूरा होने के बाद जब किसान उस फसल को मंडी में बेचता है तो सरकार द्वारा उस फसल के लिए तय की हुई कीमत किसान को दी जाती है।

    कैसे तय होती है MSP

    विजयपाल शर्मा ने कमेटी को बताया कि कास्ट ऑफ कल्टीवेशन स्कीम के तहत सभी राज्यों से उनके यहां पैदा होने वाली फसलों का आंकड़ा लिया जाता है। हर राज्य को विभिन्न हिस्सों से तीन सौ किसानों की पूरी दिनचर्या नोट करनी होती है, जो संबंधित यूनिवर्सिटी के उप निरीक्षक, रिसर्चर व मॉनिटर आदि करते हैं।

    वे किसानों की रोजाना की इनपुट के अलावा वैरिएबल कॉस्ट, जिसमें जमीन का ठेका, उसके खेती उपकरणों की डेप्रिसिएशन, परिवार की मजदूरी व किसानों की पूंजी आदि को भी इसमें शामिल करते हैं।

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    पैदावर के आधार पर तय होती है कीमत

    इसके बाद पैदावार के आधार पर प्रति क्विंटल का एक मूल्य तय करते हैं। इसमें किसान का 50 प्रतिशत लाभ डालकर किसी भी फसल का एमएसपी तय करके भारत सरकार को सिफारिश कर देते हैं। ऐसा रबी और खरीफ सीजन यानी वर्ष में दो बार किया जाता है।

    इस फॉर्मूले के आधार पर सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के सदस्यों और आयोग के चेयरमैन के बीच लंबी चर्चा भी हुई, जिसमें एमएसपी के लिए सैंपल साइज को बड़ा करने की बात की गई।

    विजयपाल शर्मा ने बताया कि गेहूं और धान की एमएसपी तो सी2 प्लस 50 प्रतिशत लाभ के काफी करीब है, लेकिन अन्य फसलों का यह किसानों को नहीं मिल पाती है, क्योंकि प्राइवेट सेक्टर एमएसपी पर खरीद नहीं करता। कभी वह एमएसपी पर खरीद करता है तो कभी एमएसपी से ज्यादा मूल्य पर, क्योंकि यह पैदावार और मांग पर निर्भर करता है। सी2 में फसलों के सभी खर्च शामिल होते हैं।

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