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    ये है चंडीगढ़ का माडल स्कूल, यहां एक साल से हिंदी, इंग्लिश, मैथ और साइंस के टीचर ही नहीं

    By Ankesh ThakurEdited By:
    Updated: Thu, 05 May 2022 01:54 PM (IST)

    चंडीगढ़ को एजुकेशन हब कहा जाता है। शहर के स्कूलों में एडमिशन के लिए खूब मारामारी रहती है। लेकिन कुछ स्कूल ऐसे हैं जहां शिक्षक ही नहीं है। स्कूल बिना श ...और पढ़ें

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    साल 2021 में स्कूल को प्राइमरी से अपग्रेड कर मीडिल स्कूल का दर्जा दिया गया था।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। चंडीगढ़ में 116 सरकारी स्कूलों में से 70 माडल स्कूल हैं। इन माडल स्कूल में बच्चों को इंग्लिश मीडियम में पढ़ाई कराई जाती है। यही कारण है कि कोरोना काल के दौरान चंडीगढ़ के प्राइवटे स्कूलों को छोड़कर करीब 15000 विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया है।

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    वहीं, शहर के सेक्टर-49 स्थित गवर्नमेंट माडल मिडिल स्कूल की हकीकत अलग है। इस स्कूल को फरवरी 2021 में प्राइमरी से अपग्रेड कर मीडिल स्कूल का दर्जा दिया गया था। 15 महीने बीत जाने के बावजूद स्कूल में बच्चों को पढ़ाने के लिए अभी तक विशेषज्ञ शिक्षकों की तैनाती नहीं की गई है। स्कूल में 6वीं और 7वीं कक्षा में बच्चों का दाखिला दिया जा चुका है। अप्रैल 2021 में स्कूल में पहली बार छठी और अप्रैल 2022 में स्कूल में सातवीं कक्षा को शुरू किया गया है लेकिन पांच विषय, हिंदी, इंग्लिश, मैथ, सोशल स्टडी और साइंस को पढ़ाने के लिए स्कूल में कोई टीजीटी शिक्षक मौजूद नहीं है। विद्यार्थियों को स्कूल में कार्यरत जेबीटी और एनटीटी शिक्षक ही पढ़ा रहे हैं। अब इसे विभाग की लापरवाही कहें या कुछ और।

    6वीं व 7वीं कक्षा में कुल 180 स्टूडेंट्स

    सेक्टर-49 के सरकारी माडल मीडिल स्कूल में छठी और सातवीं कक्षा में इस समय 180 स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं, जिसमें से 100 विद्यार्थी छठी जबकि 80 विद्यार्थी सातवीं कक्षा में है। विद्यार्थियों के अभिभावकों के अनुसार बच्चे स्कूल जरूर जा रहे हैं, लेकिन उन्हें पढ़ाने के लिए ट्यूशन अलग से रखनी पड़ रही है। स्कूल में विद्यार्थियों को प्राइमरी लेवल के शिक्षक ही पढ़ाई करवा रहे हैं।

    शिक्षा विभाग में 1400 शिक्षकों की है कमी

    चंडीगढ़ शिक्षा विभाग में एक अप्रैल 2022 से सेंट्रल सर्विस रूल्स लागू हुआ है। इस समय शहर के 116 सरकारी स्कूलों में एक लाख 60 हजार से ज्यादा विद्यार्थी एडमिशन ले चुके हैं। वर्ष 1996 में प्रशासन ने 4515 शिक्षकों के पदों को मंजूरी दी थी लेकिन हैरत की बात है कि अब विद्यार्थियों की संख्या दोगुनी हो चुकी है, लेकिन नियमित शिक्षकों की संख्या 3100 तक पहुंच चुकी है। ऐसे में विद्यार्थियों को क्वालिटी एजुकेशन दिलाना या देना चुनौती है।