हिमाचल के पूर्व IG जैदी की उम्रकैद की सजा निलंबित, गुड़िया केस के आरोपित की हिरासत में मौत मामले में हाईकोर्ट का आदेश
हिमाचल प्रदेश के पूर्व आईजी जैदी की उम्रकैद की सजा को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने निलंबित कर दिया है। यह फैसला गुड़िया मामले के एक आरोपित की हिरासत ...और पढ़ें

सीबीआई अदालत के फैसले के खिलाफ पूर्व आईजी जहूर जैदी ने हाईकोर्ट में लगाई थी याचिका।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। कोटखाई गुड़िया दुष्कर्म एवं हत्या के आरोपित की पुलिस कस्टडी में मौत के मामले में हिमाचल प्रदेश के पूर्व आईजी जहूर हैदर जैदी को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने उनकी अपील पर अंतिम निर्णय होने तक उम्रकैद की सजा को निलंबित कर दिया है और उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।
यह आदेश जस्टिस अनूप चितकारा और जस्टिस सुखविंदर कौर की खंडपीठ ने सुनाया। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह टिप्पणियां केवल सजा निलंबन के आवेदन के निस्तारण तक सीमित हैं और अपील के अंतिम निर्णय को प्रभावित नहीं करेंगी। हाईकोर्ट ने सीबीआई के उस कथन पर गंभीर टिप्पणी की, जिसमें कहा गया था कि प्रेस काॅन्फ्रेंस में ‘वैज्ञानिक साक्ष्य उपलब्ध होने’ के दावे को सही साबित करने के लिए स्वीकारोक्ति निकालने की साजिश रची गई।
अदालत ने साफ शब्दों में कहा कि भले ही जांच एजेंसी किसी आरोपी से स्वीकारोक्ति प्राप्त कर ले, वह किसी भी स्थिति में वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं मानी जा सकती। खंडपीठ ने कहा कि यदि वास्तव में वैज्ञानिक साक्ष्य मौजूद होते, तो स्वीकारोक्ति निकालने की कोई आवश्यकता ही नहीं थी। इस आधार पर अदालत ने माना कि अभियोजन का यह तर्क स्वयं संदेह के घेरे में आता है।
अदालत ने कहा कि जिस समय आरोपित सूरज की हिरासत में मौत हुई, उस समय जहूर हैदर जैदी कोटखाई थाने में मौजूद नहीं थे। वह 13 से 17 जुलाई 2017 तक पूर्व-स्वीकृत अवकाश पर थे और अपने पिता के निधन से जुड़े धार्मिक संस्कारों में लगे हुए थे। कोर्ट ने कहा कि इस स्तर पर ऐसे कृत्य, जो अभियुक्त की अनुपस्थिति में हुए हैं, सीधे तौर पर उसके खाते में नहीं डाले जा सकते
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सह-आरोपित के बयान की स्वीकार्यता कानून द्वारा सीमित है। अदालत ने कहा कि सह-आरोपित का बयान, जब तक साक्ष्य अधिनियम के अपवादों में न आए, तब तक स्वतंत्र रूप से स्वीकार्य नहीं माना जा सकता। खंडपीठ ने माना कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गंभीर चोटें सामने आई हैं और हिरासत में यातना से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन यह भी उतना ही स्पष्ट है कि आरोपित अधिकारी उस समय मौके पर मौजूद नहीं थे।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि जहूर हैदर जैदी पांच वर्ष से अधिक समय तक जेल में रह चुके हैं और अपीलों की लंबी कतार को देखते हुए उनकी अपील के शीघ्र निस्तारण की संभावना नहीं है। इन सभी टिप्पणियों के आधार पर हाई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा को अपील लंबित रहने तक निलंबित करते हुए 25 हजार रुपये के निजी मुचलके और एक जमानत पर रिहाई का आदेश दिया दिया।
चंडीगढ़ सीबीआई की विशेष अदालत ने सुनाई थी उम्रकैद की सजा
शिमला के चर्चित गुड़िया दुष्कर्म-हत्या मामले के संदिग्ध आरोपित सूरज की पुलिस हिरासत में हत्या के आरोप में चंडीगढ़ सीबीआई की विशेष अदालत ने हिमाचल प्रदेश के आईजी जहूर हैदर जैदी, ठियोग के तत्कालीन डीएसपी मनोज जोशी, कोटखाई थाने के पूर्व एसएचओ राजिंदर सिंह, एएसआई दीप चंद, हेड काॅन्स्टेबल सूरत सिंह, मोहन लाल, रफीक मोहम्मद और काॅन्स्टेबल रंजीत स्टेटा को समेत आठ पुलिसकर्मियों को 18 जनवरी को दोषी करार दिया था।
21 जनवरी को सभी आरोपितों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। वहीं, इस मामले में एसपी डीडब्ल्यू नेगी भी आरोपित थे, लेकिन उन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। उम्रकैद की सजा को जैदी ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर अब अब मंगलवार को फैसला आया है।
इस मामले में हुए घटनाक्रम
- 4 जुलाई 2017 - कोटखाई में एक बच्ची लापता हुई
- 6 जुलाई 2017 - जंगल में बच्ची का शव मिला
- 13 जुलाई 2017 - पुलिस ने छह संदिग्ध युवकों को गिरफ्तार किया
- 18 जुलाई 2017 - सूरज की लाकअप में मौत हो गई
- 19 जुलाई 2017 - गुस्से में भीड़ ने थाने में आग लगा दी
- 22 जुलाई 2017 - सीबीआई ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की
- 7 मई 2019 - सुप्रीम कोर्ट ने केस का ट्रायल चंडीगढ़ में ट्रांसफर कर दिया
- 18 जनवरी 2025 - जैदी समेत आठ पुलिसकर्मी दोषी करार
- 21 जनवरी 2025-जैदी समेत आठ पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा

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