Wheat Production: इस वर्ष गेहूं उत्पादन में 50 लाख टन वृद्धि होने की उम्मीद, ये तीन कारण हैं बेहद अहम
Wheat Production इस सीजन में सर्दियों की फसल का रकबा करीब 3.3 करोड़ हेक्टेयर था जो पिछले साल की तुलना में 15 लाख हेक्टेयर बढ़ने की उम्मीद है। देश में गेहूं की फसल के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश राजस्थान हैं।

चंडीगढ़, एजेंसी। Growth in Wheat Production: फसल वर्ष 2022-23 में देश का गेहूं उत्पादन 11.2 करोड़ टन रहने का अनुमान है। ये पिछले साल के रबी की फसल की तुलना में करीब 50 लाख टन अधिक है। करनाल के आईसीएआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ व्हीट एंड बार्ले रिसर्च (आईआईडब्ल्यूबीआर) के निदेशक ज्ञानेंद्र सिंह ने ये अनुमान लगाया है। उन्होंने कहा कि इसका श्रेय अनुकूल मौसम की स्थिति, रकबे में वृद्धि और ज्यादा उपज वाली फसल किस्मों के तहत क्षेत्र में वृद्धि को दिया जा सकता है। गेहूं की फसल के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा, "सर्दी अच्छी हो रही है। बुआई समय पर की गई है। अभी तक सब कुछ बहुत अच्छा है।"
15 लाख हेक्टेयर बढ़ा रकबा
देश में गेहूं की खेती के रकबे के बारे में सिंह ने कहा कि इस सीजन में सर्दियों की फसल का रकबा करीब 3.3 करोड़ हेक्टेयर था, जो पिछले साल की तुलना में 15 लाख हेक्टेयर बढ़ने की उम्मीद है। देश में गेहूं की फसल के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान हैं।
इन तीन वजहों से ज्यादा गेहूं होने की उम्मीद
ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा, "मैं 11.2 करोड़ टन गेहूं की फसल की उम्मीद कर रहा हूं। ये पिछले साल की तुलना में 50 लाख टन अधिक होगा। गेहूं के उत्पादन में अपेक्षित वृद्धि के तीन कारण हैं। क्षेत्र थोड़ा बढ़ा है, मौसम अनुकूल है और तीसरा नई किस्मों के तहत क्षेत्र में वृद्धि हुई है।''
ज्यादा उपज देने वाली ये हैं गेहूं की नई किस्में
अधिक उपज देने वाली किस्मों में DBW 187, DBW 303, DBW 222 और HD 3226 शामिल हैं। उन्होंने कहा कि ये किस्में ज्यादातर हरियाणा, पंजाब, पश्चिम यूपी और राजस्थान में बोई जाती हैं। "इन किस्मों की बुआई की पूर्वी यूपी और बिहार में की जा सकती है और उनमें से दो की सिफारिश मध्य प्रदेश और गुजरात के लिए भी की जाती है। DBW 187 और 303 किस्म के गेहूं को पूरे देश में कहीं भी बोया जा सकता है।''
नई किस्म से 10-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगा फायदा
IIWBR के निदेशक ने कहा कि नई किस्मों के साथ उपज में प्रति हेक्टेयर दस क्विंटल से अधिक की वृद्धि होती है। उन्होंने कहा, "अगर किसान पुरानी किस्में उगा रहे हैं और अगर वे नई किस्में उगाते हैं, तो 10-15 क्विंटल का फायदा हमेशा होता है। क्योंकि नई किस्में जलवायु के अनुकूल हैं और उन पर बदलते मौसम का कम से कम प्रभाव पड़ेगा।"
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