हाई कोर्ट का आदेश- तारीख पर तारीख, अदालतें ही नहीं, राज्य के अधिकारी भी होंगे जिम्मेदार
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने निष्पादन मामलों में तेजी लाने के लिए सख्त आदेश दिए हैं। अदालत ने कहा है कि निष्पादन याचिकाएँ छह महीने में निपटाए जाएँ अन्यथा यह सुप्रीम कोर्ट की अवमानना होगी। देरी के लिए अदालत के साथ-साथ राज्य के अधिकारी भी जिम्मेदार होंगे। कोर्ट ने यह निर्देश एक ज़मीन से जुड़े मामले में दिया जहाँ निचली अदालत बार-बार समय बढ़ा रही थी।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि अब निष्पादन मामलों में बार-बार की जाने वाली तारीख़ें और लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अदालत ने स्पष्ट किया कि मामला दायर करने की तारीख से छह माह के भीतर यदि निष्पादन याचिकाओं का निपटारा नहीं होता है तो इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना माना जाएगा।
यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2021 के राहुल एस शाह मामले में दिए गए निर्णय के आधार पर दिया गया है। हाई कोर्ट ने कहा कि सभी अधीनस्थ अदालतें छह माह के भीतर निष्पादन कार्यवाही पूरी करें। यदि किसी मामले में समय बढ़ाना पड़े तो उसका कारण लिखित रूप में दर्ज करना अनिवार्य होगा।
हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि देरी के लिए केवल अदालतें ही नहीं बल्कि राज्य के अधिकारी भी जिम्मेदार होंगे। यदि कोई अधिकारी आदेशों को टालता है तो वह भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना का दोषी माना जाएगा।
यह निर्देश उस मामले में आए जब एक डिक्रीधारी वर्ष 2015 से ज़मीन से जुड़े मामले में इंतजार कर रहा था और निचली अदालत बार-बार समय बढ़ा रही थी। कोर्ट ने कहा कि बार-बार समय बढ़ाने और गैर-जरूरी कारण देने से न केवल न्याय में देरी होती है बल्कि यह सुप्रीम कोर्ट के बंधनकारी आदेश की अवमानना भी है। हाई कोर्ट ने सभी जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को आदेश की प्रति भेजकर सख़्ती से अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा है।
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