चंडीगढ़ में वकील पर हमले के मामले में नाबालिग की सजा पर हाईकोर्ट की रोक, आप भी पढ़िये क्यों सुनाया ऐसा फैसला
हाईकोर्ट ने एक नाबालिग की सजा पर रोक लगा दी जिसे एक वकील के घर में चोरी करने और हमला करने के आरोप में जिला अदालत ने सात साल की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने नाबालिग को जमानत भी दे दी क्योंकि पुलिस के पास उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं था और उसने पहले ही पांच साल जेल में बिता दिए थे।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट के घर चोरी करने के इरादे से घुसने और उन पर तेजधार हथियार से हमले के मामले में हाईकोर्ट ने नाबालिग की सजा पर रोक लगा दी है। दो महीने पहले जिला अदालत ने नाबालिग को सात साल की सजा सुनाई थी। अदालत ने उसे बालिग मानते हुए सजा दी थी, जिसे वकील तेजस अहलावत के जरिये हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।
तेजस अहलावत ने कहा कि पुलिस ने झूठे केस में नाबालिग को फंसाया था। पुलिस के पास नाबालिग की पीड़ित के घर मौजूदगी का कोई सबूत नहीं था। केवल पीड़ित वकील की गवाही पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में नाबालिग ने अदालत के फैसले से पहले ही पांच साल जेल में काट लिए थे। इस आधार पर हाईकोर्ट ने उसकी सजा पर रोक लगाते हुए उसे जमानत दे दी।
17 मार्च 2020 की घटना
केस के मुताबिक 17 मार्च 2020 को सेक्टर-16 निवासी अमित सेठी के घर पर सुबह लगभग 10:45 बजे दो अज्ञात लड़के घुस आए। वह घर की छत पर चढ़ गए और डिश एंटेना से जुड़ी वायर खोलने लगे। सेठी ने उन्हें देखा और रोकने की कोशिश की तभी एक लड़के ने लोहे की राड से उनके सिर पर वार कर दिया।
इसके बाद दूसरा लड़का तांबे की तार तोड़ते हुए नुकीली वस्तु से उनके बाएं आंख पर हमला कर फरार हो गया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। पुलिस ने शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ आइपीसी की धारा 323, 452, 379, 511, 307, 397 और 34 के तहत मामला दर्ज कर लिया था। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। दूसरा आरोपित बालिग था इसलिए उसके खिलाफ अलग से केस चला।
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