नवजोत सिद्धू को हाईकोर्ट का झटका, मोहाली के मेयर को जारी नोटिस रद
स्थानीय निकाय मंत्र नवजोत सिंह सिद्धू के विभाग द्वारा मेयर कुलवंत सिंह को जारी किए कारण बताओ नोटिस पर कुलवंत सिंह को हाई कोर्ट से राहत मिली है।
जेएनएन, चंडीगढ़। लाखों रुपये के घोटाले में फंसे मोहाली के मेयर कुलवंत सिंह को वीरवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से राहत मिल गई है। उन्हें मेयर पद से हटाने को लेकर स्थानीय निकाय विभाग द्वारा भेजे गए कारण बताओ नोटिस को हाईकोर्ट ने रद कर मेयर की याचिका को मामले की सुनवाई के लिए मंजूरी दे दी है। इससे निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को बड़ा झटका लगा है। इस मामले में फिलहाल मेयर को राहत मिलने से एक्सईएन व डीसीएफए का निलंबन भी वापस हो सकता है।
सिद्धू ने बीते महीने कुलवंत को पेड़ों की कटाई व छंटाईं में इस्तेमाल होने वाली 28 लाख की विदेशी मशीन को 1.79 करोड़ में खरीदने के मामले को लेकर मेयर के पद से हटाने के आदेश दिए थे। चार घंटे बाद ही आदेश वापस लेकर उन्हें 21 दिनों में जवाब देने को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इसी मामले में एक्सईएन व डीसीएफए (डिप्टी कंट्रोलर फाइनेंस एंड एकाउंट) को निलंबित कर दो अन्य अफसरों को चार्जशीट कर दिया था।
सिद्धू ने आरोप लगाया था कि मेयर व अन्य अधिकारियों ने मिलीभगत करके 28 लाख रुपये की कीमत वाली मशीन को 1.79 करोड़ रुपये में खरीदा था। टैक्स जोडऩे के बाद भी उसकी कीमत किसी भी हालत में 70 से 80 लाख से ऊपर नहीं जा सकती थी। इस मामले की जांच सिद्धू के आदेश पर स्थानीय निकाय विभाग के पूर्व सचिव सतीश चन्द्रा ने चीफ विजिलेंस अफसर (सीवीओ) से करवाई थी।
सीवीओ ने अपनी जांच में कहा था कि मशीन की कीमत किसी भी कीमत में 1.79 करोड़ रुपये नहीं हो सकती है। सीवीओ की रिपोर्ट के आधार पर सिद्धू ने भ्रष्टाचार के इस मामले में मेयर कुलवंत सिंह व एक्सईएन नरेश बतरा और डीसीएफए विनायक को निलंबित कर एसीई महिंदरपाल और सुरिंदर गोयल को चार्जशीट किया था। विभाग ने मशीन को खरीदने का जारी आदेश तुरंत रद करने और कांट्रेक्टर को एडवांस दी गई राशि रिकवर करने के भी आदेश जारी किए थे।
पूर्व कमिश्नर उमाशंकर ने नहीं किए थे हस्ताक्षर
मशीन की खरीद को लेकर मोहाली के पूर्व कमिश्नर उमा शंकर ने करीब छह महीनों तक संबंधित फाइल पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। इसके बाद उनका तबादला करवा दिया गया था। इसके बाद कमिश्नर के पद पर तैनात किए गए नरेश धीमान ने फाइल क्लीयर कर दी थी। सिद्धू द्वारा की गई कार्रवाई के बाद धीमान ने कहा था कि सारा कुछ उनकी तैनाती से पहले फाइनल किया जा चुका था, उन्होंने तो केवल रुकी हुई फाइल क्लीयर की थी।
दैनिक जागरण ने पहले ही अंदेशा जता दिया था
दैनिक जागरण पूरे मामले की पड़ताल के बाद पहले ही अंदेशा जताया था कि मेयर को हटाने या उनके खिलाफ कार्रवाई का फैसला सरकार नहीं कर सकती है। नगर निगम के एक्ट 1976 के तहत मेयर के चयन का अधिकार भी सरकार की बजाय हाउस को ही होता है। हालांकि निगम के एक्ट 1976 की धारा 36 के तहत किसी भी पार्षद के खिलाफ भ्रष्टाचार या सामाजिक तौर पर किसी आपराध में शामिल होने की पुष्टि होने पर सरकार के पास यह अधिकार है कि वह उसे नोटिस देकर पार्षद पद से हटा सकती है।
सिद्धू पर मानहानि का दावा करूंगा : कुलवंत
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से राहत मिलने पर मेयर कुलवंत सिंह ने न्यायपालिका का धन्यवाद करते हुए कहा कि यह सच की जीत है। मेयर ने कहा कि डेढ़ माह में उन्होंने जो भी भुगता है उसको लेकर संबंधित सभी लोगों पर वे मानहानि का दावा करेंगे। वह स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और स्थानीय विधायक पर मानहानि का दावा ठोंकेगे। उनके वकील इस पर काम कर रहे हैं। एक सवाल के जवाब में मेयर ने कहा कि जो झूठे आरोप लगे हैं उससे वे बहुत आहत हैं। इस लड़ाई का असर थोड़ा बहुत तो विकास पर पड़ेगा लेकिन वे अपने हर पार्षद का धन्यवाद करना चाहते हैं चाहे वे किसी भी पार्टी का हो।
हर प्रकार की कार्रवाई के लिए स्वतंत्र हैं मेयर : सिद्धू
मामले को लेकर सिद्धू ने कहा कि मेयर हर प्रकार की लड़ाई व कार्रवाई के लिए स्वतंत्र हैं। वह अपने स्टैंड पर आज भी कायम हैं। उनकी लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ है। इसलिए वह इस मामले में अभी तक की गई कार्रवाई व अपने फैसले को लेकर आहत नहीं हैं। समय आने पर भ्रष्टाचार करने वालों को भी पता चल जाएगा।
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