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हाई कोर्ट ने फॉरेस्ट एरिया में अतिक्रमण हटाने पर मांगी स्टेटस रिपोर्ट

फॉरेस्ट सेटलमेंट ऑफिसर नियुक्त किए जाने पर हरियाणा सरकार को कड़ी फटकार लगी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Aug 2020 10:50 PM (IST)Updated: Tue, 18 Aug 2020 10:50 PM (IST)
हाई कोर्ट ने फॉरेस्ट एरिया में अतिक्रमण हटाने पर मांगी स्टेटस रिपोर्ट
हाई कोर्ट ने फॉरेस्ट एरिया में अतिक्रमण हटाने पर मांगी स्टेटस रिपोर्ट

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़ : मोरनी नौतोड़ जमीन मामले की सेटलमेंट के लिए नियुक्त रिटायर्ड आइएफएस एमपी शर्मा के मामले में यथास्थिति बनाए रखे जाने के हाई कोर्ट के आदेशों के बावजूद सरकार ने उनकी जगह किसी अन्य अधिकारी को इसी दौरान फॉरेस्ट सेटलमेंट ऑफिसर नियुक्त किए जाने पर हरियाणा सरकार को कड़ी फटकार लगी। हाई कोर्ट ने कहा है कि जब यथास्थिति के आदेश दिए थे, तो कैसे उनकी जगह अन्य की नियुक्ति कर दी गई। चीफ जस्टिस रविशंकर झा एवं जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने जब फटकार लगाई तो सरकार की ओर से कहा गया कि यह नियुक्ति हो चुकी थी। हाई कोर्ट के आदेशों के बाद दोबारा यथास्थिति बरकरार रख ली गई है। इसके साथ ही सरकार ने हाई कोर्ट को आश्वासन दिया कि भविष्य में सरकार इस मामले में कोर्ट के आदेशों पर ही कार्रवाई करेगी। इस पर हाई कोर्ट ने सरकार को यहां के फॉरेस्ट एरिया में मौजूदा अतिक्रमण को हटाए जाने के आदेश दे दिए हैं और 14 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई पर जवाब दिए जाने के आदेश देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी है। याचिकाकर्ता विजय बंसल ने हाई कोर्ट को बताया था कि दो वर्ष पहले जब हाई कोर्ट के आदेशों पर रिटायर्ड अधिकारी एमपी शर्मा को फॉरेस्ट सेटलमेंट ऑफिसर नियुक्त किया था, तो सरकार ने एक लंबे समय तक उन्हें कोई सुविधा ही नहीं दी थी। जिसके चलते वह काम ही नहीं कर पाए। गत वर्ष हाई कोर्ट के आदेशों पर उन्हें सुविधा दी गई और अब 31 जुलाई को उनका दो वर्ष का कार्यकाल खत्म हो रहा है। लिहाजा फॉरेस्ट सेटलमेंट ऑफिसर के मामले में हाई कोर्ट यथास्थिति के आदेश दे, ताकि वह अपना काम जारी रख सकें। गौरतलब है कि विजय बंसल ने हाई कोर्ट में दायर याचिका में बताया था कि हरियाणा के एकमात्र पहाड़ी क्षेत्र मोरनी में 40 हजार किसान देश की आजादी के बाद से अपनी नौतोड़ जमीन के मालिकाना हक से आज भी वंचित हैं, जिसका हल करवाने के लिए पहले जनहित याचिका दायर की थी। सितंबर 2018 में हरियाणा सरकार ने हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि नौतोड़ समस्या के समाधान के लिए एमपी शर्मा को दो वर्ष की अवधि के लिए फॉरेस्ट सेटलमेंट अफसर नियुक्त कर दिया गया है। इस जानकारी के बाद हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया था।

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