सेंट कबीर स्कूल को मिले माइनॉरिटी स्टेटस पर हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा Chandigarh News
सेंट कबीर स्कूल को दिए गए माइनॉरिटी स्टेटस के खिलाफ चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा हाई कोर्ट में दायर याचिका पर सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया है।
चंडीगढ़, [राज्य ब्यूरो]। शहर के सेक्टर-26 के सेंट कबीर स्कूल को दिए गए माइनॉरिटी स्टेटस के खिलाफ चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा हाई कोर्ट में दायर याचिका पर सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। अब जल्द ही हाई कोर्ट यह फैसला सुना देगा कि स्कूल को दिया माइनॉरिटी स्टेटस बरकरार रहेगा या नहीं।
जस्टिस सुधीर मित्तल ने मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि 2018 में सेंट कबीर को दिए गए माइनॉरिटी स्टेटस के खिलाफ चंडीगढ़ प्रशासन ने दायर याचिका में हाई कोर्ट को बताया था कि नेशनल माइनॉरिटी कमीशन ने नियमों का उल्लंघन कर 10 सितंबर 2014 को सेंट कबीर स्कूल को स्टेटस दिए जाने के आदेश दे दिए थे।
प्रशासन ने हाई कोर्ट को बताया कि वर्ष 1988 में पहली बार कबीर एजुकेशन सोसायटी ने एस्टेट ऑफिस में अर्जी दे स्कूल चलाए जाने के लिए जमीन दिए जाने की मांग की थी। एस्टेट ऑफिस ने अक्तूबर 1988 में सोसायटी को सेक्टर-26 में इसके लिए 20077 स्क्वेयर फीट जमीन 99 वर्ष के लिए लीज पर दे दी थी। जमीन जारी किए जाते समय यह तय कर दिया गया था कि स्कूल पर डीपीआइ चंडीगढ़ द्वारा समय-समय पर जारी निर्देश लागू होंगे। 15 फीसद सीटें देनी थी पिछड़े वर्ग को 1996 में चंडीगढ़ प्रशासन ने सभी स्कूलों को 15 प्रतिशत सीटें आर्थिक पिछड़े वर्ग के बच्चों को दिए जाने के निर्देश दिए थे।
सितंबर 2009 में केंद्र सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर स्कूल को माइनॉरिटी स्टेटस देने का अधिकार राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेश को सौंप दिया था। स्कूल माइनोरिटी स्टेटस के लिए इनसे ही एनओसी लेगा। वर्ष 2009 में शिक्षा के अधिकार लागू होने के बाद इसे कई स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी।
वर्ष 2012 में स्कूल ने चंडीगढ़ प्रशासन को बाईपास कर सीधे नेशनल माइनॉरिटी कमीशन के समक्ष अर्जी दे स्कूल को स्टेटस दिए जाने की मांग की जबकि इसके लिए स्कूल को प्रशासन से एनओसी ली जानी अनिवार्य थी। प्रावधान के उल्लंघन का हवाला कमीशन ने वर्ष 2014 में इस प्रावधान का उल्लंघन कर स्कूल को माइनॉरिटी स्टेटस दे दिया। अगस्त 2015 में प्रशासन ने स्कूल को कई बार निर्देश देते हुए जमीन की अलॉटमेंट की शर्तो के तहत कार्रवाई किए जाने की मांग की लेकिन स्कूल ने कहा कि वो माइनॉरिटी इंस्टीट्यूशन हैं, उन पर यह नियम लागू नहीं होते हैं।