एमबीबीएस प्रवेश में कोटा बदलने से हाईकोर्ट का इन्कार, अभ्यर्थी की याचिका निरस्त
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एमबीबीएस प्रवेश के लिए राज्य कोटे में बदलाव से इन्कार कर दिया है। अभ्यर्थी ने पंजाब कोर्ट से आवेदन किया था और अब चंडीगढ़ के पूल में दाखिला चाहते थे। इस पर अदलात ने स्पष्ट किया कि अलग-अलग राज्यों के कोटे का दावा नहीं किया जा सकता।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एमबीबीएस प्रवेश के लिए राज्य कोटे में बदलाव की मांग को खारिज कर दिया है। अदालत ने निकुंज बंसल नामक मेडिकल अभ्यर्थी की रिट याचिका को निरस्त कर दिया है।
बंसल ने पंजाब कोटे से हटकर चंडीगढ़ पूल में दाखिले की अनुमति और चंडीगढ़ के सेक्टर-32 स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के ऑनलाइन पोर्टल को फिर से खोलने व आवेदन की समय-सीमा बढ़ाने की मांग की थी। अदालत ने कहा कि कोई भी अभ्यर्थी दो अलग-अलग राज्यों के कोटे का दावा नहीं कर सकता।
बंसल पहले ही बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, फरीदकोट में पंजाब कोटे के तहत आवेदन कर चुके थे, जिसमें उन्होंने अपना निवास पंजाब दर्शाया था। अब वे चंडीगढ़ के पूल में दाखिला चाहते थे।
अदालत ने कहा कि चंडीगढ़ एमबीबीएस प्रॉस्पेक्टस की धारा 6 के तहत अभ्यर्थी को यह घोषित करना आवश्यक है कि उसने नीट परिणाम के बाद किसी अन्य राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में निवास का लाभ नहीं लिया है।
अलग-अलग राज्यों के कोटे का दावा नहीं कर सकते
जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस रोहित कपूर की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने पहले ही पंजाब कोटे में आवेदन कर अपना निवास वहां बताया है, जिससे वह नियम के तहत अयोग्य हो गया है। न तो इस प्रॉस्पेक्टस की शर्त को चुनौती दी गई और न ही इसमें कोई अवैधता दिखाई दी।
“गर्म और ठंडा” एक साथ नहीं
याचिका खारिज करते हुए पीठ ने कहा, “याचिकाकर्ता को एक ही सांस में गर्म और ठंडा होने की अनुमति नहीं दी जा सकती।” यानी, जब वह पंजाब कोटे में आवेदन कर चुका है, तो अब विपरीत रुख नहीं अपना सकता। अदालत ने यह भी कहा कि चंडीगढ़ में आवेदन की अंतिम तिथि 24 जुलाई, 2025 थी और यदि वह समय पर आवेदन करना चाहता तो उसे कोई रोक नहीं थी।
ओबीसी आरक्षण तर्क भी खारिज
याचिकाकर्ता ने चंडीगढ़ में ओबीसी आरक्षण से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला दिया, लेकिन अदालत ने कहा कि वह सामान्य श्रेणी से है, इसलिए यह आदेश उसके मामले में लागू नहीं होते। परिणामस्वरूप, अदालत ने हस्तक्षेप से इन्कार करते हुए रिट याचिका को खारिज कर लंबित आवेदनों का निपटारा कर दिया।
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