सांसदों-विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों की धीमी जांच पर हाईकोर्ट ने उठाए सवाल, पंजाब और हरियाणा सरकार से जवाब तलब
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जांच में हो रही देरी पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा कि क्यों न जांच में देरी पर डीजीपी को तलब किया जाए। सरकार ने 13 मामलों की रिपोर्ट पेश की जिनमें से एक में क्लोजर रिपोर्ट दी गई है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्यों के वर्तमान और पूर्व सांसदों तथा विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जांच और सुनवाई में हो रही देरी पर कड़ा रुख अपनाया है।
मंगलवार को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस यशबीर सिंह राठौर अध्यक्षता में हाईकोर्ट की खंडपीठ खंडपीठ ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि अभी भी कई मामलों की कई साल से जांच ही जारी है।
कोर्ट ने एक बार तो हरियाणा सरकार से सवाल किए कि क्यों ने जांच में देरी पर डीजीपी को तलब कर लिया जाए। सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार की तरफ से एक रिपोर्ट भी पेश की गई, जिसमें बताया गया कि कुल 13 मामले है, जिनमें एक में क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी गई है।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान जांच में आम आदमी व माननीयों के खिलाफ मामलों की जांच पर भी तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने चंडीगढ़ व पंजाब को भी मामले में जवाब दायर करने का आदेश दिया।
कोर्ट के समक्ष हरियाणा सरकार द्वारा दाखिल की गई स्थिति रिपोर्ट से पता चला कि वर्ष 2016, 2018 और 2023 में तत्कालीन या वर्तमान जनप्रतिनिधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बावजूद अब तक जांच पूरी नहीं हुई है, जबकि इन मामलों में कोई कानूनी अड़चन नहीं थी। जिनमें से एक मामला तो वर्ष 2011 से ही लंबित चला आ रहा है।
कोर्ट ने दोनों राज्यों व चंडीगढ़ के जिला एवं सत्र न्यायाधीशों से भी अपने-अपने क्षेत्राधिकार में चल रहे मामलों की स्थिति रिपोर्ट मांगी है। इन रिपोर्टों में अदालत ने विशेष रूप से लंबित मामलों में देरी के कारण स्पष्ट रूप से दर्ज करने को कहा है।
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