Updated: Mon, 18 Aug 2025 07:16 PM (IST)
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने झज्जर में हत्या के एक मामले की सुनवाई में देरी पर निचली अदालत के रवैये पर नाराजगी जताई है। अदालत ने गवाह की जिरह सात सप्ताह तक टालने पर ट्रायल जज से जवाब मांगा है। जस्टिस सुमित गोयल ने इसे निष्पक्ष सुनवाई के खिलाफ बताया और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन करार दिया।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने झज्जर जिले में दर्ज हत्या के एक मामले की सुनवाई के दौरान ट्रायल कोर्ट के रवैये पर सख्त रुख अपनाया है। हाई कोर्ट ने सात सप्ताह तक प्रमुख गवाह की जिरह (क्रास-एग्जामिनेशन) टालने पर ट्रायल जज से स्पष्टीकरण मांगा है।
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जस्टिस सुमित गोयल ने क्या कहा
जस्टिस सुमित गोयल ने कहा कि इस तरह की देरी निष्पक्ष सुनवाई (फेयर ट्रायल) के सिद्धांतों के विपरीत है और सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का उल्लंघन है।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के विनोद कुमार बनाम पंजाब राज्य (2015) और हाल ही में दिए गए सेलवामी बनाम स्टेट (2024) मामलों का हवाला दिया, जिनमें स्पष्ट किया गया था कि गवाह की जिरह उसी दिन पूरी की जानी चाहिए, जिस दिन उसका मुख्य बयान दर्ज किया गया हो।
देरी से गवाह पलट भी सकते हैं और इससे न्याय प्रभावित होता है। इस मामले में शिकायतकर्ता/आंखों देखे गवाह विनोद कुमार की आंशिक जिरह आठ जुलाई को हुई थी और इसे 22 सितंबर तक टाल दिया गया।
जमानत याचिका पर हो रही थी सुनवाई
रिपोर्ट में ट्रायल जज ने बताया कि नौ आरोपितों की ओर से अलग-अलग वकील पेश हुए हैं और सभी ने अलग-अलग जिरह की मांग की, जिस कारण गवाह की गवाही एक ही दिन में पूरी नहीं हो सकी। हाईकोर्ट ने इसे चिंताजनक बताते हुए ट्रायल जज से प्रशासनिक स्तर पर स्पष्टीकरण तलब किया है। यह मामला झज्जर में दर्ज एफआइआर से जुड़ा है। हाई कोर्ट में आरोपित की नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही थी।
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