Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रिश्वत और सरकारी अधिकारियों के नाम पर पैसे वसूली में फंसा हाईकोर्ट का वकील, सीबीआई ने दर्ज किया केस

    Updated: Sun, 05 Oct 2025 05:29 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एक वकील पर रिश्वतखोरी के आरोप में सीबीआई ने मामला दर्ज किया है। वकील अंकुश धनरवाल पर मुवक्किलों से रिश्वत मांगने और सरकार ...और पढ़ें

    Hero Image
    मुवक्किलों से रिश्वत मांगने के आरोप में वकील पर केस दर्ज।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एक वकील पर मुवक्किलों से रिश्वत मांगने और सरकारी अधिकारियों के नाम पर पैसे वसूलने का आरोप लगा है। सीबीआई की एंटी-करप्शन ब्रांच ने वकील अंकुश धनरवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिलचस्प बात यह है कि यही मामला अब दो दिशाओं में चला गया है। एक तरफ वकील पर रिश्वत और धोखाधड़ी के आरोप हैं तो दूसरी तरफ उसी वकील की शिकायत पर उसके मुवक्किलों पूर्व सरपंच बलविंदर सिंह और उनके बेटे रंजीत सिंह के खिलाफ धमकी और जान से मारने की कोशिश का केस भी दर्ज किया गया है। दोनों एफआईआर सीबीआई की एंटी-करप्शन ब्रांच ने दर्ज की हैं और दोनों की जांच फिलहाल जारी है।

    पहला मामला, रिश्वत और धोखाधड़ी के आरोप

    संगरूर निवासी बलविंदर सिंह ने अक्टूबर 2024 में सरपंच चुनाव लड़ना चाहते थे। उन्होंने अपने बेटे रंजीत सिंह के माध्यम से वकील अंकुश धनरवाल को अपने कानूनी प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया। विपक्ष ने बलविंदर सिंह के नामांकन को रोकने के लिए गांव की दो कनाल जमीन पर झूठे आरोप लगाए थे। इसके बाद धनरवाल ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की। अदालत ने बलविंदर सिंह को चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी।

    रंजीत सिंह के अनुसार इसके लिए उन्होंने वकील को 4.5 लाख की फीस दी और बाद में 3 अक्टूबर 2024 को 1.5 लाख नकद और गूगल पे के माध्यम से अतिरिक्त भुगतान किया। चुनाव 15 अक्टूबर 2024 को हुए जिसमें सतनाम सिंह विजयी घोषित हुए। हार के बाद रंजीत सिंह ने मतगणना दोबारा कराने के लिए याचिका दायर की।

    27 नवंबर 2024 को अदालत ने एसडीएम सुनाम को पुनर्गणना की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया। लेकिन रंजीत सिंह का आरोप है कि वकील धनरवाल ने कहा कि वह हाईकोर्ट में व्यक्तिगत रूप से दोबारा अपील करेंगे और इसके लिए सरकारी वकील और जज को देने के नाम पर 5.45 लाख की मांग की। रंजीत के अनुसार उन्होंने यह रकम नकद और आनलाइन दोनों तरीकों से वकील को दी। लेकिन 28 फरवरी 2025 को जब केस की सुनवाई थी, वकील अदालत में उपस्थित नहीं हुए और मामला खारिज हो गया।

    जब रंजीत और बलविंदर ने फीस और केस फाइल वापस मांगी, तो वकील ने कथित रूप से धमकियां देना शुरू कर दीं और झूठी शिकायतें दर्ज करवाईं। जिसके बाद इसकी शिकायत सीबीआइ को दी गई। सीबीआइ ने रंजीत सिंह की शिकायत पर वकील अंकुश धनरवाल के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

    दूसरा मामला धमकी और डराने-धमकाने के आरोप

    इसी बीच वकील अंकुश धनरवाल ने भी पलटवार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि रंजीत सिंह और बलविंदर सिंह ने उन्हें कई बार जान से मारने की धमकियां दीं और उनके घर व अदालत परिसर तक पहुंचकर डराने की कोशिश की।

    धनरवाल ने कहा कि दोनों आरोपित 24 मई, 28 मई, 2 जून और 23 जुलाई 2025 को हथियारों सहित उनके घर, गांव नगली, तहसील टोहाना, हरियाणा पहुंचे और उन्हें जान से मारने की धमकी दी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दोनों अदालत और बार लाइब्रेरी तक पहुंचकर उन्हें सबक सिखाने की बात कह रहे थे।

    वकील की शिकायत पर 22 अगस्त 2025 को न्यायमूर्ति संदीप मौदगिल ने सुनवाई के दौरान सीबीआइ को मामले की जांच के आदेश दिए। इसके बाद सीबीआई ने बलविंदर सिंह और रंजीत सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया। सीबीआई ने पिता-पुत्र के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। मामले की जांच जारी है।

    किसी की गिरफ्तारी नहीं

    दोनों मामलों में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। सीबीआई सूत्रों के अनुसार, दोनों एफआईआर की जांच एक ही शाखा द्वारा की जा रही है ताकि घटनाक्रम का पूरा परिप्रेक्ष्य सामने लाया जा सके। जांच अधिकारी यह भी देख रहे हैं कि क्या वकील और मुवक्किलों के बीच हुई पैसों की लेनदेन की डिजिटल या बैंक रिकार्ड मौजूद हैं, और क्या सरकारी वकील या न्यायिक अधिकारी के नाम पर धन लेने की बात केवल बहाना थी या किसी तीसरे व्यक्ति की भूमिका भी रही है।