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    पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट जज के PSO को मिली अग्रिम जमानत, फायरिंग की कोशिश का था आरोप

    पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने एक मामले में हाई कोर्ट के जज के निजी सुरक्षा अधिकारी एएसआई दिलबाग सिंह को अग्रिम जमानत दी। उन पर आरोप है कि उन्होंने बहस के दौरान सरकारी पिस्तौल से गोली चलाने की कोशिश की थी हालांकि तकनीकी कारणों से फायर नहीं हो सका। अदालत में एएसआई ने बिना शर्त माफी मांगी।

    By Dayanand Sharma Edited By: Sushil Kumar Updated: Tue, 26 Aug 2025 02:40 PM (IST)
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    हाई कोर्ट जज के पीएसओ को मिली अग्रिम जमानत। सांकेतिक फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक मामले में हाई कोर्ट के एक जज के निजी सुरक्षा अधिकारी एएसआई दिलबाग सिंह को अग्रिम जमानत दे दी है। उस पर आरोप है कि उन्होंने हाई कोर्ट के चीफ कोर्ट आफिसर दलविंदर सिंह के साथ बहस के दौरान सरकारी पिस्तौल से गोली चलाने की कोशिश की थी, हालांकि तकनीकी कारणों से फायर नहीं हो सका।

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    शिकायतकर्ता दलविंदर सिंह ने पुलिस में दर्ज कराई रिपोर्ट में कहा कि कोर्ट परिसर में किसी बात को लेकर एएसआई दिलबाग सिंह से उनकी कहासुनी हो गई थी। इस दौरान गुस्से में आकर एएसआई ने अपनी 9 एमएम सर्विस पिस्तौल निकालकर गोली चलाने का प्रयास किया। गनीमत रही कि गोली नहीं चली। शिकायत में यह भी बताया गया कि इस घटना में उन्हें साधारण चोटें आईं।

    इस मामले में चंडीगढ़ पुलिस ने मामला दर्ज किया था जिसके बाद दिलबाग सिंह ने अग्रिम जमानत की मांग की थी।मामले की सुनवाई जस्टिस एन एस शेखावत की अदालत में हुई। सुनवाई के दौरान एएसआई दिलबाग सिंह ने स्वयं अदालत में शिकायतकर्ता से बिना शर्त माफी मांगी। उन्होंने कहा कि घटना गुस्से में हुई और उनका किसी को नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं था।

    उन्होंने आश्वासन दिया कि भविष्य में वे न तो शिकायतकर्ता से संपर्क करेंगे और न ही उन्हें या उनके परिवार को कोई नुकसान पहुंचाएंगे। इस संबंध में उन्होंने एक शपथपत्र भी अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया।एएसआई दिलबाग सिंह की ओर से दलील दी कि घटना में कोई फायर नहीं हुआ और शिकायतकर्ता को केवल साधारण चोटें आईं, जिन्हें जीवन के लिए खतरनाक घोषित नहीं किया गया।

    पुलिस ने धारा 109 (1) बीएनएस के तहत गलत तरीके से मामला दर्ज कर दिया है। साथ ही यह भी बताया गया कि जांच में पिस्तौल के सभी 10 कारतूस पूरे मिले, इसलिए गोली चलाने की बात ही आधारहीन है।जस्टिस शेखावत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अदालत में माफी मांग ली है, इसलिए नरमी बरतते हुए अग्रिम जमानत दी जाती है।

    हालांकि अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि आरोप गंभीर हैं और एक अनुशासित बल का सदस्य होने के नाते एएसआई से जिम्मेदार आचरण की अपेक्षा थी। कोर्ट ने टिप्पणी की याचिकाकर्ता उस समय हाई कोर्ट की सुरक्षा ड्यूटी पर था, ऐसे में उसे और अधिक अनुशासित और सावधान रहना चाहिए था।