स्कूल ने छात्र को कर दिया था बाहर, हाईकोर्ट ने दिया एक और मौका; जानिए पूरा मामला
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 12वीं के छात्र को स्कूल लौटने का एक और मौका दिया। जस्टिस कुलदीप तिवारी ने छात्र के माफीनामे और स्कूल के अनुशासन को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया। गुरुग्राम के एक स्कूल ने छात्र को अनुशासनहीनता के कारण निष्कासित कर दिया था जिसके बाद छात्र ने कोर्ट में अपील की। कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ छात्र को वापस लेने का आदेश दिया।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में अनुशासन और शिक्षा के बीच संतुलन बनाते हुए कक्षा 12 के छात्र को स्कूल लौटने का दूसरा मौका दिया है। जस्टिस कुलदीप तिवारी की वर्चुअल सुनवाई के दौरान घबराया हुआ छात्र अपनी मां के साथ मौजूद था। उसने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि वह अपनी हरकतों को सुधार लेगा और भविष्य में किसी भी तरह का दुर्व्यवहार नहीं करेगा।
जस्टिस तिवारी ने कहा कि छात्र का आश्वासन और स्कूल की अनुशासन संबंधी चिंताएं दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। अदालत ने स्कूल द्वारा छात्र को वापस लेने के लिए सुझाई गई शर्तों को उचित बताते हुए उन्हें आदेश का हिस्सा बनाया।
गुरुग्राम के एक निजी स्कूल के छात्र ने स्कूल के 31 जुलाई, छह अगस्त और 21 अगस्त को जारी कारण बताओ नोटिस को चुनौती दी थी, जिनमें लगातार अनुशासनहीन व्यवहार के आरोप लगाए गए थे। छात्र के वकील ने कहा कि उनका मकसद आरोपों पर बहस करना नहीं, बल्कि बच्चे के भविष्य की रक्षा करना है।
वहीं, स्कूल के वकील ने तर्क दिया कि बार-बार की बदमाशी और दुर्व्यवहार ने उन्हें अनुशासन बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाने पर मजबूर किया। स्कूल ने छात्र को वापस लेने के लिए कुछ सख्त शर्तें रखीं, जिन्हें अदालत ने स्वीकार किया।
शर्त के अनुसार छात्र दुर्व्यवहार न दोहराने का वचन देगा, गंभीर दुर्व्यवहार की स्थिति में बिना नोटिस दिए निष्कासन किया जा सकेगा। सभी स्कूल नियमों, स्टाफ और सहपाठियों का सम्मान करना होगा। शेष शैक्षणिक वर्ष तक कड़ी प्रोबेशन पर रहना होगा। अनिवार्य काउंसिलिंग सत्रों में भाग लेना होगा। प्रिंसिपल, स्टाफ और छात्र समुदाय को लिखित माफी पत्र देना होगा।
कोर्ट ने कहा कि वह नाबालिगों के मामलों में पेरेंट्स पेट्रीए (अभिभावक) की भूमिका निभाकर शिक्षा के अधिकार की रक्षा कर सकती है। हाईकोर्ट ने कहा कि कि सुधारात्मक कदम और न्यायिक निगरानी एक साथ मिलकर स्कूल अनुशासन बनाए रखते हुए भी बच्चों को शिक्षा से वंचित नहीं होने देंगे।
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