Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'इमरजेंसी होने पर गैर-पैनल अस्पताल में सर्जरी कराई तो सरकार पैसा वापस देगी', पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश

    Updated: Thu, 18 Sep 2025 08:07 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि आपातकालीन स्थिति में गैर-पैनल अस्पताल में जीवन रक्षक इलाज कराने पर सरकार खर्च लौटाने से इनकार नहीं कर सकती। अदालत ने इसे आवश्यकता और आपातकाल का परीक्षण माना है। जीवन की रक्षा अनुच्छेद 21 का अभिन्न अंग है। बाईपास सर्जरी का खर्च मिलेगा गॉल ब्लैडर सर्जरी का खर्च सरकारी नीति के अनुसार दिया जाएगा।

    Hero Image
    गैर-पैनल अस्पताल में आपातकालीन इलाज का खर्च लौटाना होगा: हाईकोर्ट (File Photo)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़।  पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि यदि किसी मरीज को आपातकालीन परिस्थिति में जीवन रक्षक इलाज गैर-पैनल अस्पताल में लेना पड़ा, तो सरकार उसके खर्च की भरपाई करने से मना नहीं कर सकती।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अदालत ने इस सिद्धांत को “आवश्यकता और आपातकाल का परीक्षण” नाम दिया है।  जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने कहा कि जीवन की रक्षा संविधान के अनुच्छेद 21 का अभिन्न हिस्सा है और इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

    राज्य का दायित्व है कि वह नागरिकों को समय पर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराए। केवल इस आधार पर कि अस्पताल पैनल पर नहीं है, किसी को जीवन रक्षक इलाज से वंचित करना अनुचित और असंवैधानिक होगा। याचिकाकर्ता हरियाणा सरकार का कर्मचारी था, जिसने फरवरी 2022 में अपनी गंभीर हालत के चलते गैर-पैनल अस्पताल में बाईपास सर्जरी कराई।

    ये सर्जरी जीवन बचाने के लिए जरूरी थी- हाईकोर्ट

    अदालत ने माना कि उस समय उसकी स्थिति नाज़ुक थी और यह सर्जरी जीवन बचाने के लिए अनिवार्य थी। इसलिए खर्च की वापसी को उचित ठहराया गया।  हालांकि, याचिकाकर्ता द्वारा बाद में कराई गई गाल ब्लैडर की सर्जरी को अदालत ने आपातकालीन श्रेणी में नहीं माना। अदालत ने कहा कि यह तत्काल जीवन रक्षक प्रक्रिया नहीं थी, इसलिए इसके खर्च की वापसी केवल सरकारी नीति के अनुसार ही की जाएगी। 

    जस्टिस बराड़ ने कहा कि मानव जीवन की रक्षा केवल स्वाभाविक प्रवृत्ति ही नहीं, बल्कि अनुच्छेद 21 का भी हिस्सा है। राज्य की यह जिम्मेदारी है कि वह जरूरतमंद को समय पर इलाज उपलब्ध कराए। नागरिकों से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वे केवल अस्पताल के पैनल पर न होने की वजह से जीवन रक्षक इलाज को टाल दें।

    हाईकोर्ट ने कहा- चार महीने में पूरा खर्च वापस किया जाए

    हाईकोर्ट ने आंशिक रूप से याचिका स्वीकार करते हुए निर्देश दिया कि सरकार चार माह के भीतर याचिकाकर्ता को बाईपास सर्जरी का पूरा खर्च वापस करे। वहीं गॉल ब्लाडर के आपरेशन का खर्च केवल लागू नीति के मुताबिक चुकाया जाएगा।