कैदी को बीमार मां से मिलने की अनुमति देने की सfफारिश नहीं कर सकते डॉक्टर, वे केवल उपचार के हकदार: हाईकोर्ट
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कहा कि किसी चिकित्सा अधिकारी का जेल अधिकारियों से कैदी को बीमार मां से मिलने की अनुमति देने की सिफारिश करना अनुचित है। जस्टिस संजय वशिष्ठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। न्यायालय ने कहा कि डॉक्टर द्वारा ऐसी सिफारिश करना उचित नहीं है क्योंकि वह केवल उपचार करने वाला होता है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी चिकित्सा अधिकारी द्वारा जेल अधिकारियों को किसी कैदी को उसकी बीमार मां से मिलने की अनुमति देने की सिफारिश करना अनुचित है।
जस्टिस संजय वशिष्ठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपनी मां का दिनांक 09 जुलाई 2025 का डॉ. विक्रम भाटिया द्वारा जारी मेडिकल प्रमाणपत्र संलग्न किया है, यह काफी आश्चर्यजनक है। हाई कोर्ट ने कहा कि इलाज करने वाले डॉक्टर ने भी जेल अधिकारियों से अनुरोध किया है कि याचिकाकर्ता को इलाज के दौरान अपनी मां के पास रहने की अनुमति दी जाए।
न्यायालय ने कहा कि किसी भी डॉक्टर द्वारा किसी ऐसे व्यक्ति के स्वास्थ्य के संबंध में चिकित्सा प्रमाणपत्र जारी करते समय ऐसी सिफारिश करना अनुचित है, जो उसके समक्ष उपचार के लिए मात्र एक रोगी है। न्यायालय एनडीपीएस अधिनियम की धारा 22 के तहत छह सप्ताह की अवधि के लिए अंतरिम-नियमित जमानत पर सुनवाई कर रहा था, इस आधार पर कि उसकी विधवा मां को चिकित्सा राय के अनुसार तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता है।
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