Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बठिंडा: प्रेम विवाह से नाखुश होकर की थी दंपत्ति की हत्या, हाई कोर्ट ने अपराध की गंभीरता देखकर की जमानत याचिका खारिज

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 10:08 PM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने बठिंडा डबल मर्डर केस के आरोपित की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने अपराध की गंभीरता को जमानत देने से इनकार का कारण बताया। आरोपित हंसा सिंह पर जगमीत सिंह और उनकी पत्नी की हत्या का आरोप है क्योंकि वह उनके प्रेम विवाह से नाखुश था। अदालत ने गवाहों को प्रभावित करने की आशंका भी जताई।

    Hero Image
    हाई कोर्ट ने डबल मर्डर के आरोपित को जमानत देने से किया इन्कार (फोटो: जागरण)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने बठिंडा में हुए डबल मर्डर केस के आरोपित की जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि अपराध की गंभीरता और उसका स्वरूप स्वयं ही आरोपित को जमानत जैसे विवेकाधीन राहत से वंचित करता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह मामला चार दिसंबर 2023 को नथाना थाने में दर्ज एफआइआर से जुड़ा है, जिसमें आइपीसी की धारा 302 और 34 के तहत हत्या का मामला दर्ज किया गया था।

    आरोप है कि याचिकाकर्ता हंसा सिंह ने अपने साथी के साथ मिलकर जगमीत सिंह जो पुलिस विभाग में कार्यरत थे और उनकी पत्नी बंत कौर की बेरहमी से हत्या कर दी थी। दोनों ने प्रेम विवाह किया था, जिससे नाराज होकर आरोपित पक्ष ने साजिश रचकर वारदात को अंजाम दिया।

    जस्टिस सुमित गोयल ने आदेश में कहा कि आरोपित और उसका साथी घातक हथियारों से लैस होकर दंपती पर हमला करते हैं, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी दोनों की हत्या की पुष्टि हुई है।

    अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता, जो मृतक पुलिसकर्मी का भाई है, ने लगातार अपने बयान दोहराए हैं और उसकी गवाही चिकित्सीय व परिस्थितिजन्य साक्ष्यों से भी पुष्ट होती है। जमानत याचिका खारिज करते हुए जस्टिस गोयल ने टिप्पणी की कि इस तरह के अपराध सामाजिक चेतना और कानून-व्यवस्था की जड़ पर चोट करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में जमानत देना न केवल अपराध की गंभीरता को कमतर आंकना होगा बल्कि इससे आरोपित को और साहस मिल सकता है।

    कोर्ट ने यह भी आशंका जताई कि यदि आरोपित को रिहा किया गया तो वह गवाहों को प्रभावित, धमकाने या डराने की कोशिश कर सकता है, जबकि कई महत्वपूर्ण गवाहों की गवाही अभी बाकी है।

    जस्टिस गोयल ने कहा कि केवल लंबे समय तक हिरासत में रहना जमानत का आधार नहीं हो सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि कोई ठोस व पर्याप्त आधार प्रस्तुत न किए जाने पर याचिकाकर्ता को नियमित जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता। हाई कोर्ट ने कहा कि याचिका निराधार है।

    comedy show banner
    comedy show banner