Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    परिवार को जोड़ने और साथ लाने की पटरी पर दौड़ेगी हीर एक्प्रसेस

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 12:59 PM (IST)

    गुलशन ग्रोवर और दिविता जुनेजा की फिल्म हीर एक्सप्रेस पारिवारिक मूल्यों और रिश्तों की अहमियत को दर्शाती है। दैनिक जागरण कार्यालय में उन्होंने फिल्म और पंजाबी संस्कृति पर बात की। गुलशन ने कहा कि पारिवारिक फिल्म बनाना हिम्मत का काम है। दिविता ने फिल्म में महिला सशक्तिकरण और सपनों को पूरा करने की बात कही। गुलशन ने चंडीगढ़ को एक अनूठा शहर बताया। दिविता ने अपने अभिनय अनुभव साझा किए।

    Hero Image
    एक्टर गुलशन ग्रोवर और एक्ट्रेस दिविता जुनेजा दैनिक जागरण के सेक्टर-9 स्थित कार्यालय में पहुंचे।

    एकता श्रेष्ठ, चंडीगढ़। आज-कल के समय में एंटरटेनमेंट के लिए कई माध्यम है। ऐसे में बड़े पर्दे की ओर लोगों का रुझान कम हो गया है। इसकी एक वजह यह भी है कि अब पहले जैसा माहौल भी नहीं रहा। उस तरह से फिल्म या विषयों को लेकर काम नहीं हो रहा है जिससे परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर देख सके। अगर कोई ऐसा करेगा तो यह रिस्क लेने जैसा ही होगा। फिल्म हीर एक्सप्रेस इसका एक उदाहरण है। यह सब बताया एक्टर गुलशन ग्रोवर और एक्ट्रेस दिविता जुनेजा ने। जो इस फिल्म में मामा-भांजी का किरदार निभाते हुए नजर आएंगे।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सोमवार को यह दोनों आर्टिस्ट पहुंचे दैनिक जागरण के सेक्टर-9 स्थित कार्यालय में। बातचीत में इन्होंने फिल्म, पंजाब और इंडस्ट्री के बारे में बात की। आजकल कई प्लेटफार्म एंटरटेनमेंट के है, ऐसे में लगता नहीं कि फिल्म बनाना और कुछ नए चेहरे को लेना रिस्क से कम नहीं है? इस सवाल के जवाब में गुलशन ग्रोवर बोले कि बदलाव प्रकृति का नियम है और इसे स्वीकार भी करना चाहिए। लेकिन यह भी जरूरी है कि फिल्म इस तरह से बनाई जाए ताकि परिवार साथ में समय बिताए और फिल्म भी देखें।

    दूसरी ओर युवा पीढ़ी भी बहुत होनहार है और उन्हें मौका देना चाहिए। इन दोनों बातों में रिस्क है और फिर इसके बावजूद कोई ऐसा करता है तो यह हिम्मत से कम नहीं है। फिल्म डायरेक्टर उमेश शुक्ला जी ने ऐसा ही किया है। दिविता जुनेजा ने बताया कि इस फिल्म में ड्रामा है, वुमन इम्पावरमेंट है और सपनों को पूरा करने की चाहत है।

    एक तरह से रिश्तों की अहमियत के बारे में भी इस फिल्म में बताया जाएगा। इसकी पृष्ठभूमि पंजाब की है। आपके बेटे संजय ग्रोवर ने फिल्म को लिखा और इसके निर्माता भी वहीं है क्या इनसे भी फीस ली? इस सवाल के जवाब में गुलशन बोले कि बेटे के अलावा निर्माता और भी है लेकिन मैंने फीस नहीं ली।

    चंडीगढ़ जैसा कोई शहर नहीं

    एक्टर गुलशन ग्रोवर ने जब चंडीगढ़ के बारे में पूछा गया तो कहने लगे कि चंडीगढ़ जैसा तो कोई शहर नहीं है। ग्रीनरी, आर्किटेक्चर से लेकर इसे बनाने की प्लानिंग बहुत खास है। यह तो सभी शहरों के लिए मिसाल से कम नहीं है।

    अवाॅर्ड और मिल गई चंडीगढ़ की लड़की

    दिविता जुनेजा चंडीगढ़ से ताल्लुक रखती है। इन्होंने विवेक हाई स्कूल से पढ़ाई की है। थिएटर भी किया और क्लासिकल डांस से भी जुड़ी है। चंडीगढ़ में इन्होंने आधे-अधूरे, नोक-झोक जैसे कई नाटकों में भी काम किया है। जब गुलशन ग्रोवर से दिविता जुनेजा को फिल्म में कास्ट करने के बारे में पूछा तो जवाब में गुलशन ग्रोवर बोले फिल्म के डायरेक्टर उमेश शुक्ला जी किसी अवार्ड शो में गए थे वहां पर एक्टर सिद्धार्त मल्होत्रा को अवार्ड मिला और सके बाद आडियंस में मौजूद एक लड़की को बुलाया गया और जिसके साथ उन्होंने डांस किया। वह लड़की कोई ओर नहीं बल्कि दिविता थी। उनका काफिडेंस, डांस, एक्सप्रेशन देख कर उमेश शुक्ला ने संजय ग्रोवर से बात की और इस तरह से हमें हमारी फिल्म के लिए एक्ट्रेस मिल गई। नहीं तो इससे पहले किसी भी बड़ी एक्ट्रेस को लेने की बात चल रही थी। फिल्म की कहानी लंदन की भी है इसलिए इसमें 15 ब्रिटिश आर्टिस्ट देखने को मिलेंगे। फिल्म में संजय मिश्रा, आशुतोष राणा, प्रीत कमानी आदि आर्टिस्ट भी है।

    बैड मैन किरदारों में है असल में तो गुड मैन है

    दिग्गज कलाकारों के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा? क्या किसी तरह का दबाव महसूस हुआ? इस सवाल के जवाब में दिविता जुनेजा ने बताया कि जब फिल्म में काम करने का मौका मिला तो बहुत खुशी हुई। लेकिन जब पहले दिन शूटिंग के सैट पर गई तो बहुत नर्वस हुई। जिन कलाकारों को कभी टीवी पर देखा था उनके सामने आने पर ऐसा होना लाजमी है। लेकिन सभी कलाकारों ने साथ दिया। खासकर गुलशन ग्रोवर जी ने। भले ही उन्हें उनके किरदार के जरिए बैड मेन के नाम से जाना जाता हूं लेकिन असल में वह गुड मैन है।

    एक हाथ ने क्या काम किया दूसरे को नहीं पता लगना चाहिए

    पंजाब में आए बाढ़ और इसके बाद के हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए गुलशन ग्रोवर बोले कि बेशक हम फिल्म और बाकी काम में उलझे हुए है। लेकिन कहीं न कहीं मन में चिंता बनी हुई है और इसके बारे में चर्चा भी लगातार करते रहते है। जब पता चलता है कि हालात धीरे-धीरे-धीरे सही हो रहे है तो मन को सुकून मिलता है।

    मैंने यह भी देखा कि बहुत लोग सेवा के लिए आगे भी आए और इस का बात का जिक्र भी करते है। लेकिन इस मामले में मेरी सोच यह है कि मैं कभी सेवा करता भी हूं तो इसका जिक्र दूसरों से नहीं करता। मतलब इस बात पर अमल करता हूं कि एक हाथ ने क्या काम किया दूसरे को पता नहीं लगनी चाहिए।

    अंग्रेजों से भी पंजाबी में बात करती थी मेरी मां

    गुलशन ग्रोवर पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखते है। इनके पिता रावलपिंडी में रहा करते। विभाजन के बाद दिल्ली में शिफ्ट हुए। गुलशन ग्रोवर का जन्म दिल्ली में हुआ और यहीं पर पले-बढ़े। जब पंजाब के बारे में इनसे पूछा गया तो कहने लगे पंजाब-पंजाबियत तो मेरे नस-नस में है।

    पंजाबी की धरती पर न सही लेकिन जहां भी रहा वहां पंजाबी कल्चर के साथ ही पला-बढ़ा। पंजाब के कल्चर को अच्छे से समझता हूं। पंजाबी भाषा तो मेरी मां बोली है। इससे कभी दूर नहीं हुआ। मुझे याद है जब अंग्रेजी फिल्म करता था तो मां अंग्रेजों से पंजाबी में ही बात किया करती थी और भरोसे के साथ कहती थी कि मैंने इन्हें जो कहा वो समझ आ गया है।