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    जीने की तमन्ना खत्म कर देता है डिप्रेशन

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    Updated: Thu, 02 Feb 2017 03:00 AM (IST)

    महिलाएं आत्महत्या की कोशिश तो करती हैं लेकिन अकसर अपनी इस कोशिश में बच जाती हैं। ...और पढ़ें

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    जीने की तमन्ना खत्म कर देता है डिप्रेशन

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : महिलाएं आत्महत्या की कोशिश तो करती हैं लेकिन अकसर अपनी इस कोशिश में बच जाती हैं। पुरुष आत्महत्या करते हैं तो पूरी तरह से काम तमाम करते हैं। आत्महत्या की कोशिश करने वाले ज्यादातर पुरुषों की इस दौरान मौत हो जाती है। यह खुलासा शोधों और आंकड़ों से हुआ है। यह कहना है स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी के मेंबर सेक्रेटरी व पंचकूला के जनरल अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग के एचओडी डॉ. राजीव त्रेहन का। त्रेहन डिप्रेशन के लगातार बढ़ते मामलों को लेकर यह खुलासा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि जब डिप्रेशन चरम पर पहुंच जाए तो इन्सान के जीने की तमन्ना भी खत्म हो जाती है। अगर किसी के परिवार में पहले किसी ने आत्महत्या की कोशिश की हो तो आगे भी किसी सदस्य के आत्महत्या करने की आशंका रहती है। दूसरा अगर किसी ने एक बार आत्महत्या की कोशिश की तो दोबारा 40 प्रतिशत तक उसके आत्महत्या करने की आशंका रहती है। उन्होंने कहा कि डिप्रेशन बड़ी तेजी से आबादी को अपनी चपेट में ले रहा है। अगर समय पर इसके लक्षण जाहिर हो जाएं तो बीमारी का इलाज संभव है। यह एक प्रकार का मूड डिसआर्डर है लेकिन इसकी पहचान करना सबसे महत्वपूर्ण है।

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    अगर ये लक्षण तो हो सकता है डिप्रेशन : डिप्रेशन के मरीजों में आत्महत्या की प्रवृति होना आम है। इससे पीड़ित मरीज में उदासी की भावना रहती है व हर चीज के लिए खुद को दोषी मानता है। जिंदगी के प्रति उसका नजरिया बहुत ही निराशाजनक हो जाता है। अगर इन्सान का मूड बुझा-बुझासा रहता है। जीने की इच्छा नहीं रहती। शरीर की ताकत घट जाती है। इन्सान थका-थका सा महसूस करता है। किसी काम में मन नहीं लगता व उसकी तरफ ध्यान नहीं रहता। विश्वास की जबरदस्त कमी हो जाती है। खुद की प्रतिष्ठा का भी ख्याल नहीं रहता। जिंदगी के प्रति निराशाजनक रवैया हो जाता है। नींद डिस्टर्ब रहने लगे। भूख कम लगे या खुद को नुकसान पहुंचाने की इच्छा हो तो ये डिप्रेशन के लक्षण हो सकते हैं।

    परिवार में आगे चलता है डिप्रेशन : डिप्रेशन होने की कई वजह हो सकती हैं। एक तो परिवार में बीमारी है तो यह आगे चलेगी। वित्तीय दिक्कत आ रही है या तनाव में काम कर रहे हैं या कोई देर तक चलने वाली गंभीर बीमारी है। जैसे डाइमेंशिया, अल्जाइमर, पार्किसन व स्ट्रोक जैसी बीमारियां डिप्रेशन बढ़ा देती हैं। यह ऐसी बीमारी है जो जिंदगी की गुणवत्ता खत्म कर देती है। मनोवैज्ञानिक पशोपेश व दिक्कत पैदा कर देती है। इससे मृत्युदर भी बढ़ जाती है।

    संबंधों में समस्या से भी पनपता है डिप्रेशन

    डॉ. राजीव त्रेहन के मुताबिक संबंधों में समस्या से भी डिप्रेशन पनपता है। जो लोग अकेले रहते हैं वे डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। खासतौर से अकेले रह रहे बुजुर्ग लोग। नशा करने वाले व शराब का सेवन करने वालों में भी डिप्रेशन घर कर लेता है। एग्जाम में अच्छा कर पाने का दबाव भी बच्चों को डिप्रेशन की ओर ले जाता है। युवा महिला व पुरुषों के संबंध भी बिगड़ जाएं तो डिप्रेशन की ओर ले जाते हैं। डा. त्रेहन ने बताया कि उनके ओपीडी में कई मामले सामने आते हैं जहां दसवीं से बारहवीं तक के बच्चे सिगरेट में सुल्भा भर कर पीते हैं। उनकी लत छुड़ाने व काउंसलिंग का काम भी अस्पताल में किया जाता है।