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    पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप मामले में HC ने सरकार को लगाई फटकार, अगली सुनवाई से पहले शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 10:29 AM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में भुगतान को लेकर पंजाब सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने अपनी वित्तीय जिम्मेदारी पूरी कर दी है। विवाद 2017 से 2020 के बीच की छात्रवृत्तियों से संबंधित है। केंद्र ने बताया कि 2020 से राशि सीधे छात्रों के बैंक खातों में डाली जा रही है।

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    पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। अनुसूचित जाति के छात्रों की पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में भुगतान को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। जस्टिस विकास बहल ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार बार-बार यह बहाना बना रही है कि केंद्र से 60 प्रतिशत राशि प्राप्त नहीं हुई, जबकि उपलब्ध रिकॉर्ड दर्शाते हैं कि केंद्र सरकार ने अपनी वित्तीय जिम्मेदारी पूरी कर दी है और आवश्यक राशि जारी की जा चुकी है।

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    यह विवाद 2017 से 2020 के बीच की छात्रवृत्तियों से संबंधित है। याचिकाकर्ता संस्थानों का कहना है कि उन्होंने छात्रों की पढ़ाई का खर्च उठाया, लेकिन पंजाब सरकार ने अब तक बकाया राशि जारी नहीं की। उनका तर्क है कि उनका अनुबंध सीधे राज्य सरकार के साथ है, इसलिए पूरी राशि पंजाब सरकार को देनी चाहिए। केंद्र से कोई बकाया लेना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।

    केंद्र सरकार ने अदालत में स्पष्ट किया कि 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के दौरान पंजाब सरकार ने स्वयं कोई बजटीय प्राविधान नहीं किया था, जिसके कारण छात्रवृत्ति का वितरण नहीं हो सका। केंद्र ने यह भी बताया कि 2020 से राशि सीधे छात्रों के बैंक खातों में डाली जा रही है, जिससे उस अवधि के बाद कोई विवाद नहीं रह गया है।

    कोर्ट ने माना कि पंजाब सरकार अपने दायित्व से बचने का प्रयास कर रही है और बार-बार गलत दलीलें पेश कर रही है। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता संस्थान बार-बार अदालत का दरवाजा खटखटा रहे हैं, जबकि यह जिम्मेदारी राज्य सरकार की थी कि वह पूरी राशि जारी करे और बाद में केंद्र से समायोजन करे।

    हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को अंतिम मौका देते हुए आदेश दिया कि अगली सुनवाई से पहले शपथ पत्र दाखिल किया जाए, जिसमें प्रत्येक वर्ष (2017-18, 2018-19, 2019-20) की कुल वित्तीय जिम्मेदारी का ब्यौरा हो। राज्य की प्रतिबद्ध देनदारी, संस्थानों को जारी की गई राशि और केंद्र से प्राप्त राशि का विवरण प्रस्तुत किया जाए। मामले की सुनवाई अब 17 नवंबर 2025 को होगी।

    कोर्ट ने समाज कल्याण विभाग, पंजाब के निदेशक को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने और विभाग के प्रधान सचिव को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये पेश होने का आदेश दिया है।