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    हरियाणा विधानसभा सत्र में आखिरी दिन CM सैनी का बड़ा एलान, इन प्लॉटों पर नहीं लगेगा स्टांप शुल्क

    हरियाणा सरकार ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाले प्लॉटों की रजिस्ट्री पर स्टाम्प शुल्क माफ कर दिया है। शहरी क्षेत्र में 50 गज और ग्रामीण क्षेत्र में 100 गज तक के प्लॉटों पर यह छूट मिलेगी। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विधानसभा में यह घोषणा की।

    By satyendra singh Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Wed, 27 Aug 2025 09:07 PM (IST)
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    पीएम-सीएम आवास योजना के प्लॉटों की रजिस्ट्री में नहीं लगेगा स्टांप शुल्क।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत लाभार्थियों को मिलने वाले सरकारी प्लॉटों की रजिस्ट्री पर अब किसी तरह का स्टांप शुल्क नहीं लगेगा।

    शहरी क्षेत्र में 50 गज तथा ग्रामीण क्षेत्र में 100 गज के आवासीय प्लॉटों की रजिस्ट्री में स्टांप शुल्क नहीं लगने की घोषणा कर प्रदेश सरकार ने लाभार्थियों को बड़ी राहत प्रदान की है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस बात की घोषणा विधानसभा सत्र के अंतिम दिन बुधवार को सदन के अंदर की, जिसे तुरंत प्रभाव से लागू भी कर दिया गया है।

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    सीएम ने नए कलेक्टर रेट बढ़ाने के विपक्षी विधायकों के आरोप पर सदन में ही स्पष्ट कर दिया कि पिछली सरकारों में कलेक्टर रेट तय करने का कोई फार्मूला नहीं था। हमने पारदर्शिता बरती। उनके पास किसान अपनी भी जमीन के कलेक्टर रेट बढ़वाने के लिए आ रहे हैं।

    कलेक्टर रेट प्रॉपर्टी बाजार को देखते हुए कई सेगमेंट में बांटकर पूरी पारदर्शिता के साथ लागू किए गए। देश में जमीन की रजिस्ट्री पर स्टांप डयूटी सौदे के प्रतिशत के रूप में 1899 से लगती आई है। पिछली सरकारों ने बगैर फार्मूले के कलेक्टर रेट तय किए थे।

    बुधवार को विधानसभा में इनेलो विधायक आदित्य देवीलाल तथा अर्जुन चौटाला ने प्रदेश सरकार द्वारा बढ़ाई गई कलेक्टर दरों के मुद्दे पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पेश किया। इनेलो विधायकों ने कलेक्टर रेट निर्धारण पालिसी पर सवाल उठाते हुए कलेक्टर रेट को अधिक बताकर इनकी दोबारा समीक्षा करने की मांग की।

    विधायक आदित्य देवीलाल ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पढ़ते हुए कहा कि हाल ही में सरकार ने कलेक्टर रेटों में भारी वृद्धि की है। इससे आम लोगों को बहुत नुकसान हुआ है। लोगों में इसको लेकर भारी रोष है।

    ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के रूप में उठे इस मुद्दे का उत्तर देने के लिए मुख्यमंत्री नायब सैनी खुद खड़े हुए और उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने जमीन के मालिकों तथा खरीददारों के हितों को ध्यान में रखकर ही कलेक्टर रेट में वृद्धि की है। वर्तमान में जिन जगहों की जमीनों में 200 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, वहां 50 प्रतिशत तक कलेक्टर रेट की बढ़ोतरी की गई है।

    इसके बावजूद अभी भी जमीन के बाजारी मूल्य से कलेक्टर रेट काफी कम हैं। नए रेट से कालेधन पर भी रोक लग रही है। रजिस्ट्री में कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2008 में 300 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी। 2011 और 12 में 220 प्रतिशत कलेक्टर रेट बढ़ाए गए।

    2012 और 13 में 230 प्रतिशत की वृद्धि हुई। पिछली सरकारों में कलेक्टर रेट तय करने का कोई फार्मूला नहीं था। बिल्डरों और भूमाफियों को फायदा पहुंचाया गया है। प्रदेश में 72.8 प्रतिशत ऐसा एरिया है, जहां सिर्फ 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यह बदलाव हमारी सरकार ने सही तरीके से किया है।

    रामकुमार गौतम बोले, कम हैं कलेक्टर रेट, बढ़ाए जाएं

    नायब सैनी ने कहा कि कलेक्टर रेट बढ़ाने को लेकर जो आवाज उठा रहे हैं, वह गरीब की आवाज नहीं है। कलेक्टर रेट बढ़ाने की ये हर साल होने वाले प्रक्रिया है। सीएम ने कहा कि विपक्षी दल बताएं कि क्या उनके कार्यकाल में कभी कलेक्टर रेट नहीं बढ़े। मुख्यमंत्री ने विपक्षी विधायकों से सवाल किया कि क्या प्रॉपर्टी खरीदने वाले को दिक्कत है या बेचने वाले को है।

    सरकार ने इस नंबर दो के पैसे को बंद कर दिया है। किसान कलेक्टर रेट बढ़ाने की मांग कर रहा है। एनसीआर के किसान भी रेट बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। इसी बीच विधायक रामकुमार गौतम ने प्रॉपर्टी डीलरों का खेल बताकर कलेक्टर रेट और भी बढ़ाने की सिफारिश की।

    कांग्रेस राज में सत बढ़ोतरी 25.11 प्रतिशत

    मुख्यमंत्री ने सदन में जानकारी दी कि हर साल कलेक्टर रेट निर्धारित होते हैं। साल पहले उपायुक्त ही कलेक्टर रेट तय करते थे, लेकिन दो साल से सरकार ने फार्मूला बना कलेक्टर रेट तय करना आरंभ कर दिया। वर्ष 2004 से 2005 के बीच 23.83 प्रतिशत कलेक्टर रेट बढ़ाए गए।

    इसके बाद 24.8 प्रतिशत की वृद्धि की गई। 2004-14 तक कलेक्टर रेट की औसत बढ़ोतरी 25.11 प्रतिशत रही, जबकि भाजपा सरकार के 10 साल की औसत बढ़ोतरी 9.69 प्रतिशत है। इस साल 20 प्रतिशत कलेक्टर रेट बढ़े हैं।

    एक अगस्त से तय हुए नए कलेक्टर के अनुसार 20 अगस्त तक पूरे प्रदेश में कुल 41, 476 रजिस्ट्रियां हुई। सीएम ने सदन में बताया कि पूरे राज्य में हुई रजिस्ट्री से कुल 722 करोड़ 58 लाख रुपये की स्टांप डयूटी प्राप्त हुई।

    गुरुग्राम में रिहायशी इलाके में कलेक्टर रेट 28 हजार 435 रुपये प्रति गज था, जबकि वहां पर खरीददार ने रिहायशी प्लॉट की रजिस्ट्री एक करोड़ 31 लाख 35 हजार रुपये में करवाई। कलेक्टर रेट पर इसका कुल मूल्य 85 लाख 12 हजार रुपये होता है। इसका मतलब है कि लोग स्वयं भी कालाबाजारी बंद करने के हक में हैं।