हरियाणा धान घोटाला: किसानों ने लगाया करोड़ों रुपये के स्कैम का आरोप, BKU के नेता ने की सीबीआई जांच की मांग
हरियाणा में किसानों ने 'मेरी फसल-मेरा ब्योरा' पोर्टल पर धान का रकबा दिखाया, लेकिन कृषि अधिकारियों ने अधिक रकबे का सत्यापन किया। भाकियू ने धान घोटाले का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की है। अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप है, और जांच में खानापूर्ति की जा रही है। फर्जी गेट पास काटने और पीडीएस चावल में घोटाले का भी आरोप है। बाढ़ से उत्पादन घटने के बावजूद मंडियों में अधिक धान आने पर सवाल उठाए गए हैं।

हरियाणा धान घोटाला: किसानों ने लगाया करोड़ों रुपये के स्कैम का आरोप (File Photo)
राज्य ब्यूरो, पंचकूला। हरियाणा में किसानों ने मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर 28.80 लाख एकड़ में धान का रकबा दिखाया था, जबकि कृषि अधिकारियों ने 30.16 लाख एकड़ में धान का सत्यापन कर दिया।
आरोप है कि पोर्टल पर धान के वास्तविक क्षेत्र की तुलना में 1.36 लाख एकड़ अधिक रकबा दिखाकर उत्तर प्रदेश और बिहार से चावल लाकर बड़ा घोटाला किया गया है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) चढ़ूनी ने पांच हजार करोड़ रुपये के धान घोटाले का दावा करते हुए सीबीआइ जांच के लिए हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करने की तैयारी कर ली है।
भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार गुरनाम सिंह चढूनी ने बुधवार को पोर्टल के आंकड़े साझा करते हुए आरोप लगाया कि कृषि विभाग, मंडी बोर्ड और खरीद एजेंसियों के अधिकारियों की मिलीभगत से धान घोटाले को अंजाम दिया गया है।
पोर्टल पर सात जिलों रोहतक, भिवानी, गुरुग्राम, महेद्रगढ़, रेवाड़ी, मेवात और चरखी दादरी में 64 हजार 726 एकड़ में धान की रोपाई दिखाई गई है, जबकि इन जिलों में कोई खरीद नहीं की गई। यानी कि इन जिलों में धान था ही नहीं। जांच के नाम पर भी खानापूर्ति चल रही है। अभी तक धान के रकबे का सत्यापन करने वाले किसी भी अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष कर्म सिंह मथाना और मीडिया प्रभारी राकेश कुमार के साथ मीडिया से बात कर रहे गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि फिजिकल वेरिफिकेशन के नाम पर खानापूर्ति की जाती है। जांच के लिए उन्हीं अधिकारियों व कर्मचारियों को लगा दिया जाता है, जिन पर खुद घोटाले में शामिल होने के आरोप हैं।
घोटाले की तह तक जाने के लिए धान कुटाई से पहले सीबीआइ से फिजिकल वेरिफिकेशन कराई जानी चाहिए। मंडी प्रशासन ने बिना धान आए गेट पास काट दिए और फर्जी तरीके से ही धान की खरीद दर्शाते हुए सभी दस्तावेज पूरे कर दिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि पीडीएस स्कीम के तहत गरीबों को दिए जाने वाला चावल पात्र परिवारों को न देेकर इसे सस्ते में शैलर मालिकों को दिया जा रहा है, जो इसे एफसीआइ को पहुंचाकर मोटा मुनाफ कमा रहे हैं। पूरे घोटाले की सही से जांच होनी चाहिए।
जलभराव से 40 लाख टन तक सिमटा उत्पादन, मंडियों में कहां से आया 62 लाख टन धान
भाकियू प्रधान ने कहा कि इस बार बाढ़ के कारण धान का उत्पादन 40 लाख टन तक सिमट गया। इसके बावजूद मंडियों में कहां से 62 लाख टन धान आया, इसकी सीबीआइ जांच की जानी चाहिए। फर्जी गेट पास काटकर पूरे घोटाले को अंजाम दिया गया है।

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