चंडीगढ़ में हरियाणा की नई विधानसभा के प्रस्ताव पर रोक, जमीन पर सहमति न बनने पर केंद्र सरकार का निर्णय
हरियाणा और चंडीगढ़ नई विधानसभा बनाने के लिए जमीन देने के मामले से पीछे हट गए हैं। गृह मंत्रालय ने दोनों प्रशासन को आगे बढ़ने से रोक दिया है। चंडीगढ़ पर पंजाब, हरियाणा और हिमाचल के दावों के बीच हरियाणा सरकार ने जमीन खरीदने का फैसला वापस ले लिया है। जमीन की अदला-बदली की नीति विफल होने पर हरियाणा भुगतान के लिए तैयार था, लेकिन अब यह मुद्दा समाप्त हो गया है।

चंडीगढ़ प्रशासन से विधानसभा के लिए जमीन लेने के मामले से हरियाणा पीछे हट गया है।
राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। चंडीगढ़ के हक लेकर पंजाब, हरियाणा के साथ साथ अब हिमाचल ने भी अपना दावा ठोका है। इस विवाद के बीच हरियाणा सरकार ने चंडीगढ़ में नई विधानसभा बनाने के लिए जमीन खरीदने के मामले से हाथ खींच लिए हैं।
सूत्रों का कहना है कि असल में केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने हरियाणा और यूटी प्रशासन को इस मामले पर फिलहाल आगे बढ़ने के लिए इन्कार दिया है। एक तरह से प्रस्ताव रद कर दिया गया है।
हरियाणा-चंडीगढ़ प्रशासन से विधानसभा के लिए जमीन लेने के मामले से पीछे हट गया है। जमीन की अदला बदली नीति सिरे न चढ़ने के बाद हरियाणा सरकार चंडीगढ़ प्रशासन को कीमत का भुगतान करने के लिए तैयार हो गया था।
चंडीगढ़ प्रशासन की इस संबंध में हरियाणा सरकार से बात भी हो गई थी । यूटी प्रशासन के अधिकारियों के अनुसार हरियाणा विधानसभा के लिए नया भवन बनाने का मुद्दा अब समाप्त हो गया है। प्रशासन ने हरियाणा को कीमत का भुगतान करके दस एकड़ जमीन खरीदने के लिए 640 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए कहा गया था।
इससे पहले हरियाणा ने यूटी प्रशासन के समक्ष अदला बदली की नीति रखी थी जिसके तहत वह रेलवे स्टेशन के पास दस एकड़ जमीन लेने के बदले अपने एरिया के सकेतड़ी की 12 एकड़ जमीन देने के लिए तैयार था।
हरियाणा ने 12 एकड़ जमीन का इको सेंसटिव जोन का विवाद खत्म करने के लिए केंद्र सरकार से पर्यावरण मंत्रालय से मांग करके अधिसूचना जारी करवाई। लेकिन इसका फायदा नहीं मिला। पंजाब भी नई विधानसभा के लिए हरियाणा को जमीन देने के पक्ष में नहीं है।
पंजाब की आम आदमी पार्टी ने भी प्रशासन ने अपने पार्टी भवन के लिए जमीन मांग चुका है । केंद्र सरकार को भी पता है कि इस समय जमीन देने पर विवाद ज्यादा बढ़ जाएगा क्योंंकि पंजाब विश्वविद्यालय में सीनेट चुनाव को लेकर पहले ही काफी बवाल हो चुका है ।
जमीन का रेट और बढ़ा
अब शहर में जमीन का रेट और बढ़ गया है क्योंकि एक अप्रैल के बाद कलेक्टर रेट और कन्वर्जन रेट बढ़ गए हैं ।ऐसे में अब दस एकड़ जमीन का रेट 640 करोड़ से ज्यादा हो गया है ।यूटी प्रशासन के अधिकारियों के अनुसार अदला बदली की नीति के तहत भविष्य में किसी को भी जमीन नहीं दी जाएगी।
गृह मंत्री ने ही दी थी प्रस्ताव को मंजूरी
जुलाई 2022 में जयपुर में एनजेडसी की बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विधानसभा की नई बिल्डिंग के लिए चंडीगढ़ में जमीन देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।साल 2026 में नया परिसीमन प्रस्तावित है।
जिसके आधार पर वर्ष 2029 में लोकसभा व विधानसभा चुनाव होंगे। नए परिसीमन में हरियाणा की जनसंख्या के अनुसार विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 126 तथा लोकसभा क्षेत्रों की संख्या 14 होगी।
हरियाणा विधानसभा में इस समय 90 विधायक हैं। मौजूदा भवन में इन 90 विधायकों के बैठने के लिए भी पर्याप्त स्थान उपलब्ध नहीं है। इस भवन का विस्तार किया जाना भी संभव नहीं है, क्योंकि यह हैरिटेज बिल्डिंग है। इसलिए हरियाणा विधानसभा के लिए नया अतिरिक्त भवन बनाना चाहता था।
अदला-बदली की नीति इसलिए प्रशासन ने की खारिज
इस साल के शुरूवात में इको सेंसटिव जोन का विवाद सुलझने के बाद पंचकूला से सकेतड़ी एरिया की जो 12 एकड़ जमीन हरियाणा ने यूटी प्रशासन को देेने का प्रपोजल दिया उसमे कई तरह की समस्यां सामने आई।
इसके साथ ही जो दस एकड़ जमीन विधानसभा केे लिए जमीन दी जा रही थी उसके बदले में मिलने वाली जमीन के मुकाबले में उतनी प्रमुख नहीं है।
जबकि रेलवे स्टेशन के पास जहां पर नए विधानसभा भवन का निर्माण होना है उसकी प्राइम लोकेशन है और उसकी कीमत भी ज्यादा है। दूसरा प्रशासन के मास्टर प्लान 2031 में अदला बदली की कोई नीति का प्रावधान नही है।
प्रशासन के अनुसार सकेतड़ी की 12 एकड़ जमीन से ड्रेन गुजरती है। प्रशासन के अधिकारियों के अनुसार दोनों स्थलों की पहुंच और शहरी योजना के दृष्टिकोण से मापदंड बराबर नहीं हैं।
योजना विभाग ने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा दी गई भूमि से एक प्राकृतिक ड्रेन गुजरती है, जो भूमि को दो हिस्सों में विभाजित करती है। इस प्राकृतिक ड्रेन के पास निर्माण करना संभव नहीं है क्योंकि यह काफी चौड़ा है।

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