ये हैं चंडीगढ़ के सिख ज्योतिषी गुरमीत बेदी, मॉरिशियस में ज्योतिष सम्मेलन में करेंगे भारत का प्रतिनिधित्व
गुरमीत बेदी ने बताया कि करीब 35 साल तक ज्योतिष विज्ञान में रिसर्च करने के बाद एस्ट्रोलॉजी एक विज्ञान नाम से एक किताब लिखी थी। किताब में ज्योतिषचार्य की विभिन्न विधाओं और आयामों पर काम करते हुए उसे विज्ञान से जोड़कर पेश किया गया था।

सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़। सिख ज्योतिषी... सुनने में थोड़ा अटपटा लगेगा लेकिन यह सच है। चंडीगढ़ के सिख गुरमीत सिंह बेदी साहित्यकार और ज्योतिष शोधार्थी हैं। गुरमीत बेदी पहली बार मॉरिशियस में होने वाले अंतरराष्ट्रीय ज्योतिष सम्मेलन में खुद का शोध पत्र पेश करेंगे। अगले साल 18 से 20 अप्रैल तक होने वाले ज्योतिष सम्मेलन में पहली बार गुरमीत बेदी सिख होते हुए भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। ज्योतिष सम्मेलन को इंटरनेशनल एस्ट्रो रिसर्च सेंटर द्वारा करवाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य ज्योतिष विज्ञान के गूढ़ रहस्यों और उसके विभिन्न आयामों पर विस्तृत चर्चा करना है।
गुरमीत बेदी ने बताया कि करीब 35 साल तक ज्योतिष विज्ञान में रिसर्च करने के बाद 'एस्ट्रोलॉजी एक विज्ञान' नाम से एक किताब लिखी थी। किताब में ज्योतिषचार्य की विभिन्न विधाओं और आयामों पर काम करते हुए उसे विज्ञान से जोड़कर पेश किया गया था। उनकी यह किताब आनलाइन ही एक लाख तक बिक चुकी है। किताब के आधार पर मॉरिशियस में होने वाले ज्योतिष सम्मेलन में बुलाया है। गुरमीत बेदी ने बताया कि प्रकृति का ज्योतिष विज्ञान से गहरा नाता है। इस बात को विश्व के दूसरे देश भी मानते हैं। भारत में ज्योतिष विज्ञान के साथ कुछ रूढ़ियों को जोड़ दिया गया है जिसके चलते वह कुछ ज्यादा दर्द देती हुई या फिर परेशानी देती है।
गुरमीत बेदी की 25 से ज्यादा किताबें हो चुकी हैं प्रकाशित
गुरमीत बेदी इसी वर्ष हिमाचल प्रदेश सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के चंडीगढ़ कार्यालय से सेवानिवृत हुए हैं। गुरमीत बेदी अब तक साहित्य की विभिन्न विधाओं पर 12 से ज्यादा किताबें लिख चुके हैं जोकि प्रकाशित भी हुई हैं। इनमें ज्योतिष विज्ञान पर लिखी गई पुस्तक मुख्य है। गुरमीत बेदी ने कहा कि ज्योतिष मानव जीवन को समझने का एक आयाम है। ज्योतिष के माध्यम से हमारे ऋषि-मुनियों, तपस्वियों व बुद्धिजीवियों ने विभिन्न शोध कार्यों से मानव जीवन को सुगम बनाने के सतत प्रयास किए हैं। ज्योतिष भारतीय संस्कृति की सर्वोत्तम धरोहर है। गणना पर आधारित इस विज्ञान की मदद से भूतकाल, वर्तमान व भविष्य के बारे में पता लगाया जा सकता है। जरूरत इसके नियमों, उप-नियमों, देशकाल की स्थिति को समझने तथा आधुनिक परिवेश में अपने शोध कार्यों को और अधिक सटीक व जनोपयोगी बनाने की है।
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