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Punjab Assembly Trust Motion : राज्यपाल व भगवंत मान सरकार फिर आमने-सामने, विश्‍वास मत पर उठे पांच सवाल

Punjab Assembly Trust Motion पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में मुख्‍यमंत्री भगवंत मान द्वारा अपनी सरकार का विश्‍वास प्रस्‍ताव रखने पर सवाल उठ रहे हैं। विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए राज्‍यपाल को भेजे एजेंडे में यह शामिल नहीं था। राज्‍यपाल सत्र में संदेश भेजकर नाराजगी जता सकते हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 28 Sep 2022 09:41 AM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2022 09:41 AM (IST)
Punjab Assembly Trust Motion : राज्यपाल व भगवंत मान सरकार फिर आमने-सामने, विश्‍वास मत पर उठे पांच सवाल
पंजाब के सीएम भगवंत मान और राज्‍यपाल बनवारी लाल पुरोहित। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़, जेएनएन। Punjab Assembly Trust Motion: पंजाब विधानसभा के सत्र में मुख्‍यमंत्री भगवंत मान द्वारा विश्‍वास प्रस्‍ताव पेश किए जाने पर सवाल उठ रहे हैं। राज्‍यपाल को सत्र के लिए भेजे एंजेंडे में विश्‍वास प्रस्‍ताव की बात शामिल नहीं थी। ऐसे में राज्‍यपाल अपनी नाराजगी जताने के लिए विधानसभा के चलते सत्र में संदेश भेज सकते हैं।

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राज्‍यपाल बनवारी लाल पुरोहित सत्र में संदेश भेजकर जता सकते हैं अपनी नाराजगी

पंजाब विधानसभा में सरकार विश्वास प्रस्ताव ला सकती है या नहीं इसे लेकर पिछले एक सप्ताह से सत्ता पक्ष, विपक्ष और राजभवन के बीच तकरारबाजी चल रही है। भले ही राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने विश्वास प्रस्ताव लाने संबंधी 22 सितंबर को बुलाए गए विशेष सत्र को रद कर दिया था लेकिन सरकार ने रेगुलर सत्र बुलाकर और बिजनेस एडवाजरी कमेटी को अंधेरे में रखकर मंगलवार को विधानसभा में यह प्रस्ताव पेश कर दिया।

इस प्रस्ताव पर तीन अक्टूबर को वोटिंग होगी। आखिर इस सारी एक्सरसाइज के मायने क्या हैं, आइए जानते हैं..

सवाल : राज्यपाल को सूचना दिए बिना सरकार के लिए विश्वास प्रस्ताव लाना क्यों जरूरी था?

जवाब : आम आदमी पार्टी के पास इस समय 92 विधायक हैं। इनमें से किसी एक ने भी पार्टी नहीं छोड़ी। ऐसे में सरकार को यह प्रस्ताव पेश करने की जरूरी नहीं थी। परंतु मुख्यमंत्री का दावा है कि भाजपा चोर दरवाजे से विधायकों को खरीदने का काम कर रही है, इसलिए विश्वास प्रस्ताव लाना जरूरी था।

सवाल : राज्यपाल अब कोई कार्रवाई कर सकते हैं?

जवाब: विधायी कामकाज के विशेषज्ञ और पंजाब विधानसभा के पूर्व डिप्टी स्पीकर बीर दविंदर स‍िंह का कहना है कि संविधान की धारा 175 (2) और नियम 26 में राज्यपाल के पास यह शक्ति है कि अगर उन्हें लगे कि सदन में कुछ गलत हो रहा है तो वह चलते सदन में अपनी नाराजगी का संदेश स्पीकर को भेज सकते हैं। स्पीकर बाध्य हैं कि वह उस संदेश को सदन को पढ़कर सुनाएं, लेकिन हाउस के पास भी एक शक्ति है।

उन्‍होंने कहा कि अगर हाउस राज्यपाल के संदेश को न माने तो उसे सदन में प्रस्ताव लाना पड़ेगा और प्रस्ताव पारित करके स्पीकर के माध्यम से राज्यपाल के पास भेजना होगा।

सवाल : अगर सरकार को जरूरत नहीं थी तो प्रस्ताव लाई क्यों?

जवाब: जिस तरह हाल ही में महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार गिर गई और गोवा के आठ कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल हो गए, उससे आम आदमी पार्टी को भी लगने लगा कि आपरेशन लोटस पंजाब में भी चल सकता है। इसलिए सरकार विश्वास प्रस्ताव पारित करना चाहती ताकि इसके पारित होने के बाद आने वाले छह महीने में सरकार पर कोई संकट न आए।

सवाल: क्या पंजाब में आप के विधायकों की खरीद-फरोख्त हो रही है?

जवाब: आप ने यह आरोप लगाया है कि भाजपा ऐसा कर रही है। सरकार ने भाजपा के खिलाफ केस भी दर्ज करवाया है। केस दर्ज हुए दो सप्ताह बीत चुके हैं और पुलिस ने केवल अज्ञात लोगों पर केस दर्ज किया है। अभी तक न तो किसी को गिरफ्तार किया गया है और न ही कोई कार्रवाई की है। पुलिस को अभी तक ऐसा कोई सुबूत नहीं मिला है जिससे यह साबित हो सके कि विधायकों को खरीदा जा रहा है।

सवाल : विश्वास प्रस्ताव के पारित होने के क्या मायने हैं?

जवाब: फिलहाल आम आदमी पार्टी की सरकार को किसी प्रकार कोई संकट नहीं है, लेकिन फिर भी इस प्रस्ताव के पारित होने से रकार को अगले छह महीने तक सदन में अविश्वास मत का सामना नहीं करना पड़ेगा। 


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