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पूरा कर्ज माफ करने का बोझ नहीं सह सकती सरकार: कैप्टन

पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि उनकी सरकार किसानों का पूरा कर्ज माफ करने की हालत में नहीं है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 21 Jan 2018 10:26 AM (IST)Updated: Sun, 21 Jan 2018 07:02 PM (IST)
पूरा कर्ज माफ करने का बोझ नहीं सह सकती सरकार: कैप्टन
पूरा कर्ज माफ करने का बोझ नहीं सह सकती सरकार: कैप्टन

जेएनएन, चंडीगढ़। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों से अपील की है कि कर्ज माफी के मुद्दे पर वे संघर्ष का रास्ता न अपनाएं। उन्होंने कहा कि सूबे के खराब वित्तीय हालात के चलते सरकार पूरा कर्ज माफ करने का बोझ नहीं सहन कर सकती। किसानों की कठिनाइयों का सरकार जल्द हल निकालने के लिए वचनबद्ध है।
आर्थिक संकट के बावजूद पंजाब ने अन्य राज्यों के मुकाबले किसानों को अधिक ऋण राहत दी है।

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उन्‍होंने कहा कि महाराष्ट्र ने किसानों का 1.50 लाख रुपये तक का ऋण माफ किया है। इसी तरह उत्तर प्रदेश ने 1 लाख रुपये, राजस्थान ने 50 हजार, मध्यप्रदेश ने एक लाख रुपये व कर्नाटक ने 50 हजार तक का कर्ज माफ करने का एलान किया है, जबकि पंजाब ने दो लाख तक का फसली कर्ज माफ किया है।

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मुख्यमंत्री ने किसानों को विरोधी दलों व कुछ किसान संगठनों की ओर से गुमराह न होने की अपील भी है। उन्होंने कहा कि कुछ पार्टियां व किसान यूनियनें अपने निजी राजनीतिक हितों के लिए किसानों के ऋण माफी के मुद्दे पर दुष्प्रचार कर रहे हैं। उनकी सरकार को खाली खजाना विरासत मे मिला था। दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने भी किसानों की मदद के लिए हाथ पीछे खींच लिए, जिससे इन परिस्थितियों में इस योजना के घेरे में व किसानों को लाने या 2 लाख रुपये से अधिक राशि का ऋण माफ करना संभव नहीं है।

मुख्यमंत्री ने किसान ऋण पूर्ण रूप से माफ करने को अमल में लाने के लिए किसानों से और अधिक समय की मांग करते हुए कहा कि उनकी सरकार इस समय राज्य की अर्थव्यवस्था को दोबारा मजबूत करने के लिए प्रयास कर रही है।

सीमांत किसानों को प्राथमिकता

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि सरकार इस समय कठिनाइयों का सामना कर रहे छोटे और सीमांत किसानों की सहायता करने को प्राथमिकता दे रही है। जब सूबे की अर्थव्यवस्था स्थिर होना शुरू हो जाएगी, तब धीरे-धीरे सभी किसानों को ऋण माफी योजना के दायरे में लाया जाएगा।

पंजाब सरकार पर दो लाख करोड़ का कर्ज

मुख्यमंत्री ने बताया कि जब उन्होंने वर्ष 2007 में मुख्यमंत्री का पद छोड़ा था, तो उस समय सरकारी खजाने पर 46 हजार करोड़ रुपये का कर्ज था। अब जब वर्ष 2017 में उन्होंने अकाली-भाजपा सरकार से शासन हाथ में लिया, तो इस समय उनकी सरकार पर दो लाख करोड़ रुपये के कर्ज हैं।

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उन्‍होंने कहा कि सरकार की ओर से अपने पहले बजट में किसानों के लिए घोषित ऋण माफी योजना के अधीन 10.25 लाख किसानों को शामिल किया जाना है। पहले चरण में 5.63 लाख किसानों को इसका लाभ होना है। उन्होंने कहा कि इस चरण के लिए उनकी सरकार ने जैसे-तैसे 2700 करोड़ रुपए का बंदोबस्त किया है।

बड़े किसान लाभ से बाहर

कैप्टन  ने कहा कि बदकिस्मती से उनकी सरकार मौजूदा स्थिति में और फंड जुटाने की हालत में नहीं है, जिससे पूर्ण कर्ज माफ करने संबंधी किसानों की मांग नहीं मानी जा सकती। सूबे में 17.5 लाख किसान परिवारों में से सिर्फ बड़े जमीदार ही अब तक कर्ज माफी स्कीम से बाहर हैं।

उन्‍होंने कहा कि सरकार किसानों से जुड़े सभी मसलों को तेज़ी से हल कर रही है। इनमें कर्ज स्कीम के लाभ के लिए स्व -घोषणा पत्र लागू करने व आयकर भरने वाले सरकारी कर्मचारियों व पेंशनर्स को स्कीम से बाहर निकालने जैसे फैसले हाल ही में लिए गए हैं, जिससे इस स्कीम का लाभ सिर्फ असली लाभार्थियों तक पहुंचाया जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले एक दशक में यह पहली बार हुआ है कि कपास सहित अन्य फसलों की रिकॉर्ड पैदावार हुई है। इन फसलों की समय पर खरीद और अदायगी को पूरी तरह यकीनी बनाने में सफलता मिली है।


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