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खराब वित्तीय हालत से कैप्टन सरकार के हाथ खड़े किए, प्रोजेक्‍टों पर ब्रेक

पंजाब में विकास परियोजनाआें पर ब्रे‍क लग गया है। राज्य की खराब वित्तीय हालत और कर्ज के भार ने सरकार के हाथ खड़े करा दिए हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 21 Jan 2018 10:12 AM (IST)Updated: Sun, 21 Jan 2018 07:03 PM (IST)
खराब वित्तीय हालत से कैप्टन सरकार के हाथ खड़े किए, प्रोजेक्‍टों पर ब्रेक
खराब वित्तीय हालत से कैप्टन सरकार के हाथ खड़े किए, प्रोजेक्‍टों पर ब्रेक

चंडीगढ़, [निर्मल सिंह मानशाहिया]राज्य की खराब वित्तीय हालत और कर्ज के भार ने सरकार के हाथ खड़े करा दिए हैं। नई विकास परियाजनाएं शुरू करना तो दूर, पहले से चल रहे प्रोजेक्टों पर भी ब्रेक लगा दी गई है। विकास के कार्यों के लिए खजाना खाली पड़ा है। हालात इतने खराब चल रहे हैं कि हर महीने सरकारी अफसरों और मुलाजिमों की तनख्वाह के लिए जोड़-तोड़ से पैसों का जुगाड़ करना पड़ रहा है।

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मुलाजिमों के जीपीएफ निकलवाने पर रोक लगाने साथ-साथ सेवा मुक्त हो रहे मुलाजिमों की पेंशन, ग्रेच्युटी, छुट्टियों के पैसे, मेडिकल बिल कई महीनों से रोक दिए गए हैं। बाकी कसर किसान कर्ज माफी स्कीम ने पूरी कर दी है।

जीएसटी से राजस्व को 40 फीसद का नुकसान: मनप्रीत

वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने खाली खजाने के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि जीएसटी से उम्मीद के मुताबिक फायदा होने की बजाय पंजाब को उल्टा बड़ा नुकसान सहना पड़ रहा है। जीएसटी लागू होने के कारण पंजाब सरकार को 40 फीसद राजस्व का सीधा नुकसान हुआ है। पंजाब के खाली खजाने के लिए पिछली अकाली-भाजपा सरकार मुख्य तौर पर दोषी है, जिसने खजाना खाली करने के साथ-साथ पंजाब को कर्ज की दलदल में धकेल दिया।

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वित्त मंत्री का कहना है कि जीएसटी के कारण पंजाब को हुए राजस्व के नुकसान की भरपाई का मुद्दा जीएसटी कौंसिल समेत वित्त मंत्री अरुण जेटली के पास उठा चुके हैं। उन्होंने कहा कि जीएसटी के अंतर्गत केंद्रीय टैक्सों के हिस्से को हर महीने पंजाब को देने का मुद्दा भी केंद्र सरकार से उठाया गया है, जिससे सूबे की खराब वित्तीय हालत के चलते आमदनी और खर्च के बीच संतुलन कायम किया जा सके।

हजारों करोड़ के बिलों की अदायगी रुकी

कर्ज की जकड़ में फंसी कांग्रेस सरकार के खजाने का इतना बुरा हाल है कि पहले लिए कर्ज का ब्याज उतारना भी कठिन हो गया है। नए साल के पहले महीने से लेकर अगले 4 महीनों तक बजट इतना डावांडोल रहेगा कि मुलाजिमों की तनख्वाह भी नहीं दी जा सकेगी। पंजाब सरकार पर कर्ज का बोझ 2 लाख करोड़ तक पहुचने की कगार पर है। 7 हजार करोड़ के बिल खाली खजाने के भरने का इंतजार कर रहे हैं। सरकारी आंकड़ों से मुताबिक वित्त विभाग पर हर महीने 2800 करोड़ रुपये के करीब तनख्वाह व पेंशन का बोझ सीधा पड़ता है।

कर्मचारी मोर्चा खोलने की तैयारी में

सरकारी मुलाजिम सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की रणनीति बनाने में लगे हैं। मुलाजिमों ने चंडीगढ़ में 26 जनवरी को यूनियनों की एक साझा मीटिंग बुलाई है। पंजाब सबऑर्डिनेट सर्विसिज फेडरेशन के सीनियर वाइन प्रेसिडेंट रणबीर सिंह ढिल्लों ने बताया कि एक तरफ सरकार के मंत्री खुला खर्च कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ मुलाजिमों को न समय पर तनख्वाह मिल रही हैं और न ही पेंशन। पेंशन और बकाया मेडिकल बिल भी कई महीनों से अटके पड़े हैं। जीपीएफ निकालने पर भी सरकार ने रोक लगा रखी है जबकि मंत्री हेलिकॉप्टर में घूम रहे हैं।

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