पंजाब में नए अकाली दल के अध्यक्ष बने पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, सुखबीर बादल को बड़ा झटका
शिरोमणि अकाली दल से अलग हुए गुट ने ज्ञानी हरप्रीत सिंह को अपना अध्यक्ष चुना है। अमृतसर में हुई एक सभा में यह फैसला लिया गया। सतवंत कौर को गुट की पंथिक परिषद का अध्यक्ष चुना गया। अकाल तख्त द्वारा नियुक्त समिति ने इस गुट का पुनर्गठन किया क्योंकि पहले अकाल तख्त ने बादल और अन्य को तनखैया घोषित किया था जिसके बाद यह कदम उठाया गया।

पीटीआई, चंडीगढ़। अकाल तख्त के पूर्व कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को सोमवार को अमृतसर में आयोजित प्रतिनिधि सभा की बैठक में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) से अलग हुए गुट का अध्यक्ष चुना गया। इसके अलावा, सतवंत कौर को गुट की 'पंथिक' परिषद का अध्यक्ष चुना गया है।
अकाल तख्त द्वारा नियुक्त समिति ने अमृतसर के गुरुद्वारा बुर्ज अकाली फूल सिंह में शिअद से अलग हुए गुट का प्रतिनिधि सभा आयोजित किया। सोमवार को प्रतिनिधि सभा के दौरान, अध्यक्ष पद के लिए ज्ञानी हरप्रीत सिंह का नाम प्रस्तावित किया गया, जबकि पंथिक परिषद के अध्यक्ष पद के लिए सतवंत कौर का नाम प्रस्तावित किया गया।
तख्त श्री दमदमा साहिब के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह, उन सिख धर्मगुरुओं में शामिल थे, जिन्होंने 2 दिसंबर, 2024 को अकाली दल नेता सुखबीर सिंह बादल और अन्य अकाली नेताओं को 'तनखैया' (धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किया था।
फरवरी में, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने तख्त श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार के रूप में ज्ञानी हरप्रीत सिंह की सेवाओं को बर्खास्त कर दिया था। कौर, अखिल भारतीय सिख छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष अमरीक सिंह की बेटी हैं, जो जरनैल सिंह भिंडरावाले के करीबी सहयोगी थे और 1984 में ऑपरेशन ब्लूस्टार में मारे गए थे।
अकाल तख्त द्वारा नियुक्त समिति, जिसे पिछले साल दिसंबर में शिरोमणि अकाली दल के पुनर्गठन की निगरानी का अधिकार दिया गया था, में विधायक मनप्रीत सिंह अयाली, इकबाल सिंह झुंडा, संता सिंह उम्मेदपुर, पूर्व विधायक गुरप्रताप सिंह वडाला और सतवंत कौर शामिल थे।
पिछले साल 2 दिसंबर को, अकाल तख्त ने अपने आदेश में सदस्यता अभियान शुरू करने और छह महीने के भीतर शिअद अध्यक्ष और पदाधिकारियों के पद के लिए चुनाव कराने हेतु सात सदस्यीय पैनल का गठन किया था। उस समय, सिखों की सर्वोच्च धार्मिक पीठ ने 2007 से 2017 तक पंजाब में पार्टी और उसकी सरकार के 'पापों' के लिए बादल और अन्य को 'दंड' सुनाया था।
प्रेम सिंह चंदूमाजरा, पूर्व शिअद अध्यक्ष बीबी जागीर कौर, पूर्व विधायक गुरप्रताप सिंह वडाला और पूर्व मंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा सहित विद्रोही नेताओं द्वारा 1 जुलाई, 2024 को अकाल तख्त के समक्ष पेश होने और 2007 से 2017 के बीच शिअद शासन के दौरान की गई 'गलतियों' के लिए क्षमा मांगने के बाद बादल को 'तनखैया' घोषित किया गया था।
एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी और पूर्व एसजीपीसी प्रमुख कृपाल सिंह बडूंगर ने बाद में अकाल तख्त द्वारा नियुक्त पैनल से इस्तीफा दे दिया, लेकिन शिअद कार्यसमिति ने जनवरी में अपना स्वयं का पैनल गठित किया और सदस्यता अभियान शुरू किया, जिसकी अकाल तख्त के निर्देशों की अवहेलना करने के लिए विद्रोही नेताओं ने आलोचना की।
12 अप्रैल को, बादल पार्टी के अध्यक्ष के रूप में सर्वसम्मति से निर्वाचित होकर शिअद की कमान फिर से संभाल ली। हालांकि, अकाल तख्त द्वारा नियुक्त समिति ने मार्च में एक समानांतर सदस्यता अभियान शुरू किया। अभियान पूरा होने और प्रतिनिधियों के चुनाव के बाद, समिति ने सोमवार को पदाधिकारियों के चुनाव के लिए प्रतिनिधि सत्र आयोजित किया।
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