काॅरपोरेट मामलों के मंत्रालय के पोर्टल पर फर्जी दस्तावेज अपलोड कर करोड़ों की ठगी, मोहाली पुलिस की जांच खोलेगी राज
मोहाली में एटीएल बायोफ्यूल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर करोड़ों की ठगी का मामला सामने आया है। गुरदासपुर के परमजीत सिंह ने आरोप लगाया है कि उनके नाम का गलत इस्तेमाल करके उन्हें कंपनी का निदेशक दिखाया गया है। शिकायतकर्ता के अनुसार इस धोखाधड़ी में शामिल लोगों ने विभिन्न बैंकों के खातों में लगभग 3.15 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

जागरण संवाददाता, मोहाली। एटीएल बायोफ्यूल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के माध्यम से करोड़ों रुपये की ठगी का गंभीर मामला उजागर हुआ है। गुरदासपुर के गांव गगहाली निवासी परमजीत सिंह ने आरोप लगाया है कि उनके नाम का दुरुपयोग कर उन्हें कंपनी का निदेशक दर्शाया गया और काॅरपोरेट मामलों के मंत्रालय के पोर्टल पर फर्जी दस्तावेज अपलोड किए गए। इस मामले में बलोंगी थाने में एक मुकदमा दर्ज कर लिया है।
परमजीत सिंह ने बताया कि इस षड्यंत्र में कई लोग शामिल हैं, जिनमें अवतार सिंह, जसवंत सिंह, परमिंदरपाल सिंह, मंगल सिंह (प्रवासी भारतीय), नरिंदर मियां (अमेरिका में शरण प्राप्त नागरिक), परगिरा थाल सिंह (अनियंत्रक लेखाकार), उत्तम गोहिल तथा स्थिरव रंग जैसे नाम शामिल हैं। इन सभी पर आरोप है कि उन्होंने मिलकर कंपनी के नाम पर फर्जीवाड़ा किया और शिकायतकर्ता की पहचान का गलत इस्तेमाल कर दस्तावेज तैयार किए।
शिकायतकर्ता के अनुसार, इस फर्जीवाड़े के माध्यम से लगभग तीन करोड़ पंद्रह लाख रुपये की राशि विभिन्न बैंकों के खातों में स्थानांतरित की गई। इनमें एचडीएफसी बैंक, पंजाब नैशनल बैंक तथा अन्य बैंक शामिल हैं। धनराशि का स्थानांतरण जनवरी से जून 2024 के बीच हुआ, जिसमें कई बार एक ही खाते में लाखों रुपये भेजे गए। कुछ लेन-देन अमेरिका स्थित खातों से जुड़े पाए गए।
प्रारंभिक जांच में कई बैंक खातों की जानकारी मिली
भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 316(2), 318(4), 336(2), 336(3), 340(2) और 61(2) के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और जिला इंटेलीजेंस को भी इसमें सम्मिलित किया गया है। प्रारंभिक जांच में कई बैंक खातों की जानकारी, दस्तावेजों की सत्यता तथा डिजिटल साक्ष्यों की पड़ताल की जा रही है।
यह मामला केवल एक व्यक्ति की पहचान के दुरुपयोग का नहीं, बल्कि एक योजनाबद्ध आर्थिक अपराध का प्रतीक है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन का लेन-देन हुआ है। पुलिस की जांच से यह स्पष्ट होगा कि इस पूरे षड्यंत्र के पीछे कौन-कौन शामिल हैं और किस प्रकार एक कंपनी के नाम पर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई।
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