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    चंडीगढ़ में 10 साल पुराने गोलीकांड में आप के पूर्व मेयर कुलदीप समेत छह बरी, पुलिस जांच में मतभेद का मिला फायदा

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 12:43 PM (IST)

    चंडीगढ़ की जिला अदालत ने आम आदमी पार्टी के पूर्व मेयर कुलदीप सिंह उर्फ टीटा समेत छह आरोपितों को 10 साल पुराने गोलीकांड मामले में बरी कर दिया है। यह घटना 5 अप्रैल 2015 को बालमिकी मंदिर के पास हुई थी जहां दो गुटों में झड़प हुई और रिंकू नामक व्यक्ति ने पिस्तौल से फायरिंग की थी। अदालत ने सुबूतों और गवाहों की कमी के चलते यह फैसला सुनाया।

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    5 अप्रैल 2015 के मामले में बरी होने पर पूर्व मेयर कुलदीप सिंह ने जताई खुशी।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। दस साल पहले मलोया थाना क्षेत्र में हुई झड़प के बाद गोली चलने के मामले में जिला अदालत ने पुलिस जांच में मतभेद और सुबूतों के अभाव में आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व मेयर कुलदीप सिंह उर्फ टीटा समेत छह आरोपितों को बरी कर दिया है। यह मामला 5 अप्रैल 2015 का है, जब डीएमसी मार्केट के पास दो गुटों में भिड़ंत हुई थी। घटना वाले दिन शाम लगभग चार बजे दोनों गुटों के सदस्य हथियार और डंडों के साथ एक-दूसरे के सामने खड़े थे।

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    एक गुट की अगुवाई कुलदीप सिंह उर्फ टीटा और रविंदर उर्फ छिंदा कर रहे थे, जबकि दूसरे गुट का नेतृत्व रिंकू और अनिल कुमार उर्फ लाटू कर रहे थे। जब पुलिस पहुंची तो दोनों पक्ष एक-दूसरे को गालियां दे रहे थे। अचानक रिंकू ने पिस्तौल निकालकर हवा में फायर किए। झड़प के बाद दोनों गुट मौके से फरार हो गए। पुलिस ने घटना स्थल से एक खोल बरामद किया था । घटना के तुरंत बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आरोपितों को गिरफ्तार किया।

    अनिल कुमार उर्फ लाटू को मलोया बस स्टैंड से, रविंदर उर्फ छिंदा को द्रोणाचार्य मंदिर के पास से और रिंकू को बाद में बड़हेरी चौक से पकड़ा गया। रिंकू के कब्जे से पिस्तौल बरामद हुई। वहीं, कुलदीप सिंह उर्फ टीटा, कुलविंदर उर्फ किंदा, मनीदीप उर्फ सोनू और अरुण उर्फ पेप्सी को बाद में गिरफ्तार किया गया, जिनके पास से डंडे बरामद किए गए। ट्रायल के दौरान रविंदर उर्फ छिंदा की मृत्यु हो गई थी। 

    अदालत में बरी होने के कारण

    वकील अमित खैरवाल ने बताया कि रिंकू के पास से बरामद पिस्तौल और घटना स्थल से मिले कारतूस के खोल की जांच सीएफएसएल में कराई गई। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ कि जो पिस्तौल बरामद हुई थी उससे गोली नहीं चली। घटना भीड़-भाड़ वाले इलाके में हुई थी, लेकिन पुलिस ने कोई स्वतंत्र गवाह पेश नहीं किया। इन सबके अलावा जांच में कई अन्य मतभेद भी पाए गए। अदालत ने इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कुलदीप सिंह उर्फ टीटा और अन्य पांच आरोपितों को बरी कर दिया।