'जबरन इस्तीफा और बदनाम करने की कोशिश', PGI में भ्रष्टाचार उजागर करना डॉक्टरों को पड़ा भारी; झूठे मामलों में फंसाया
चंडीगढ़ पीजीआई में 2.5 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा करने वाले रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हरिहरन ए ने आरोप लगाया है कि उन्हें झूठे मामलों में फंसाकर प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने वित्तीय अनियमितताओं की जांच शुरू करने के बाद एससी-एसटी मानसिक उत्पीड़न और रैगिंग जैसे आरोपों में फंसाए जाने का दावा किया है।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। पीजीआई जो देश का अग्रणी चिकित्सा संस्थान माना जाता है, खुद गंभीर सवालों के घेरे में है। संस्थान में कार्यरत रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एआडी) के 2024 अध्यक्ष और वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. हरिहरन ए ने आरोप लगाया है कि उन्होंने संस्थान में हुए 2.5 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा किया, जिसके बदले उन्हें झूठे मामलों में फंसाकर प्रताड़ित किया गया।
डॉ. हरिहरन ने कहा कि जैसे ही उन्होंने मार्च 2024 में एआरडी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली और वित्तीय अनियमितताओं की जांच शुरू की, उन्हें साजिशन झूठे एससी-एसटी, मानसिक उत्पीड़न और रैगिंग जैसे आरोपों में घसीटा गया। आंतरिक जांच में यह स्पष्ट हो गया कि सभी आरोप बेबुनियाद और पूर्वनियोजित थे, लेकिन संस्थान के शीर्ष अधिकारी पीछे नहीं हटे।
डॉ. हरिहरन के मुताबिक 15 अक्टूबर 2024 की रात 1 बजे उन्होंने मानसिक तनाव में आकर डीएम इंटेंसिव केयर कोर्स से इस्तीफा दिया, लेकिन सुबह 11 बजे इस्तीफा वापस ले लिया। बावजूद इसके, संस्थान ने उनके इस्तीफे को पहले ही मंजूर कर लिया, जो कानून और नैतिकता दोनों के खिलाफ है।
डॉ. हरिहरन का कहना है कि उन्होंने ऑडियो और डॉक्यूमेंटरी साक्ष्यों के साथ बार-बार शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन संस्थान ने कोई कार्रवाई नहीं की। अब उन्होंने मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय ओबीसी आयोग, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग और यूजीसी एंटी-रैगिंग सेल तक पहुंचाया है।
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