Milkha Singh Birthday: उनकी ये खास बातें खिलाड़ियों के लिए मायने रखती हैं, पढ़ें मिल्खा सिंह के जीवन का संघर्ष
Milkha Singh Birthday आज पद्मश्री उड़न सिख मिल्खा सिंह का जन्मदिन है। उनके जन्मदिन पर देश और विदेश की कई हस्तियां मिल्खा सिंह को याद कर रही है। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरों को खूब शेयर किया जा रहा है।

विकास शर्मा, चंडीगढ़। Milkha Singh Birthday: आज पद्मश्री उड़न सिख मिल्खा सिंह का जन्मदिन है। स्वर्गीय मिल्खा का जन्म आज ही के दिन 20 नवंबर,1929 को मौजूदा पाकिस्तान के गोविंदपुरा शहर में हुआ था। मिल्खा सिंह का जीवन खेल को ही समर्पित रहा। वह अपनी आखिरी सांस तक खिलाड़ियों में जोश भरने का काम करते रहे। उनका जीवन दुनियाभर के खिलाड़ियों के हमेशा प्ररेणास्त्रोत रहेगा।
आज उनके जन्मदिन पर देश और विदेश की कई हस्तियां मिल्खा सिंह को याद कर रही है। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरों को खूब शेयर किया जा रहा है। चंडीगढ़ के रहने वाले मिल्खा सिंह का निधन बीते साल 2021 हुआ था। उन्हें कोरोना हुआ था, लेकिन वह कोरोना से भी जीत गए, लेकिन बाद में उनका देहांत हो गया था।
जीते जी मिल्खा सिंह कहते थे कि रोम ओलिंपिक जाने से पहले मैंने दुनिया भर में कम से कम 80 दौड़ों में भाग लिया था, उसमें मैंने 77 दौड़ें जीतीं थी, जिससे मेरा एक रिकार्ड बन गया था। सारी दुनिया ये उम्मीद लगा रही थी कि रोम ओलिंपिक में कोई अगर 400 मीटर की दौड़ जीतेगा तो वो भारत के मिल्खा सिंह होंगे।
मैं इतने वर्षों से इंतजार कर रहा हूं कि कोई दूसरा इंडियन एथलीट वो कारनामा कर दिखाए, जिसे करते-करते मैं चूक गया था। हमारे जमाने में न तो मैदान थे और न ही अनुभवी कोच थे। हम नंगे पांव दौड़ते थे। बावजूद इसके हमने अपनी मेहनत से शानदार प्रदर्शन किया। आज अब देश में तमाम तरह की सुविधाएं हैं, फिर भी खिलाड़ियों में जीत का वो जुनून देखने को नहीं मिलता है। मेडल जीतने के लिए जीत का जज्बा होना भी जरूरी है।
जनरल अयूब खान ने दिया था उड़न सिख का नाम
पदमश्री मिल्खा सिंह ने साल 1958 के एशियाई खेलों में 200 मीटर व 400 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल जीता था। साल 1958 के कामनवेल्थ खेलों में गोल्ड मेडल जीता था। साल 1962 के एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीता था। साल 1960 के रोम ओलंपिक खेलों में उन्होंने पूर्व ओलंपिक कीर्तिमान को ध्वस्त किया लेकिन वह मेडल नहीं जीत सके थे। साल 1960 में पाकिस्तान प्रसिद्ध धावक अब्दुल बासित को पाकिस्तान में उन्होंने काफी अंतर से हराया, जिसके बाद जनरल अयूब खान ने उन्हें ‘उड़न सिख’ कह कर पुकारा था। साल 1962 के जकार्ता में आयोजित एशियन खेलों में मिल्खा ने 400 मीटर और 4 X 400 मीटर रिले दौड़ में गोल्ड मेडल जीता था। रोम ओलिंपिक में स्थापित मिल्खा के कीर्तिमान को धावक परमजीत सिंह ने 40 साल बाद साल 1998 में तोड़ा था। मिल्खा सिंह के जीवन पर बालीवुड फिल्म भाग मिल्खा भाग भी बन चुकी है।
खेल जगत में इकलौते बाप बेटे जिन्हें मिला पद्मश्री
स्वर्गीय मिल्खा सिंह और उनके बेटे जीव मिल्खा सिंह इकलौती ऐसी बाप बेटे की जोड़ी थी, जिन्हें उनकी खेल उपलब्धियों के पद्मश्री अवार्ड मिला है। बता दें मिल्खा सिंह के बेटे जीव मिल्खा सिंह इंटरनेशनल स्तर के गोल्फर हैं। जीव मिल्खा सिंह देश के इकलौते भारतीय गोल्फर हैं, जिन्होंने दो बार 2006 और 2008 में एशियन टूर आर्डर ऑफ मेरिट जीता है। वह यूरोपियन टूर, जापान टूर और एशियन टूर में खिताब जीत चुके हैं। जीव मिल्खा सिंह अपने करियर में 28वीं विश्व रैंकिंग हासिल की थी, इसके ऊपर अभी तक किसी भारतीय गोल्फर की वर्ल्ड रैंकिंग नहीं रही है। उनकी इन्हीं खेल उपलब्धियों के लिए भारत सरकार उन्हें भी पद्मश्री सम्मान दे चुकी है।
मिल्खा कहते थे दौड़ सब खेलों की मां
उड़न सिख मिल्खा सिंह कई मंचों से खिलाड़ियों के लिए चंडीगढ़ में सिंथेटिक ट्रेक जल्द बनाने की मांग करते थे। जो अब तक नहीं बना है। मिल्खा सिंह कहते थे कि दौड़ ही सब खेलों की मां है, जब खिलाड़ी दौड़ लगाऐंगे तो उनकी फिटनेस अच्छी होगी और फिटनेस अच्छी होगी तो खिलाड़ी चाहे किसी भी खेल में हों मेडल जरूर आएंगे।
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