Chandigarh Surgery: पिता ने दिया लिवर का एक हिस्सा दान, दुर्लभ जेनेटिक डिसआर्डर से पीड़ित 11 वर्षीय बच्चे का सफल आपरेशन
डॉ. मेनन ने लड़के का अच्छी तरह से मूल्यांकन किया और माता-पिता को सलाह दी कि उसका इलाज दवाओं से संभव नहीं है और एकमात्र इलाज लीवर ट्रांसप्लांट ही होगा। पिता ने स्वेच्छा से बेटे की जान बचाने के लिए अपने लीवर का एक हिस्सा दान किया।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। बरवाला के 11 वर्षीय बच्चे को हाल ही में एक सफल लीवर ट्रांसप्लांट से नई जिंदगी मिली। बच्चा फैट मेटाबॉलिज्म के एक दुर्लभ जेनेटिक डिसऑर्डर से पीड़ित था। जो सिरोसिस और लीवर फेलियर का कारण बनता है। बच्चे को गहरा पीलिया, पेट में फलूइड और लीवर की बीमारी के कारण मांसपेशियों की गंभीर क्षति हो रही थी। इसके अलावा उसे उभरी हुई आंखों की समस्या थी। बार-बार बीमार होने के कारण वह अपनी पढ़ाई नहीं कर पा रहा था। माता-पिता अपने बेटे का उचित इलाज कराने के लिए कई अस्पतालों में गए, फिर उन्होंने चैतन्य अस्पताल, चंडीगढ़ से संपर्क किया। जिन्होंने उन्हें डॉ. जगदीश मेनन, कंसल्टेंट पीडियाट्रिक हेपेटोलॉजिस्ट और लीवर ट्रांसप्लांट फिजिशियन को रेफर किया। महीने में दो बार पीडियाट्रिक लीवर केयर ओपीडी क्लिनिक का संचालन करता है।
डॉ. मेनन ने लड़के की अच्छी तरह जांच की और माता-पिता को सलाह दी कि उसका इलाज दवाओं से संभव नहीं है। एकमात्र इलाज लीवर ट्रांसप्लांट ही होगा। पिता ने स्वेच्छा से बेटे की जान बचाने के लिए अपने लीवर का एक हिस्सा दान किया, भले ही उनका ब्लड ग्रुप अलग था। एक अलग ब्लड ग्रुप के लिवर डोनर को तभी प्राथमिकता दी जाती है, जब कोई अन्य ब्लड ग्रुप के अनुकूल डोनर न हो। विशेष दवाएं दीं और एक अलग ब्लड ग्रुप लिवर डोनर से उत्पन्न होने वाले जोखिम को कम करने के लिए विशिष्ट प्रक्रियाएं कीं। लीवर ट्रांसप्लांट के लिए बच्चे का जुलाई में सफलतापूर्वक आपरेशन किया गया।
यह ट्रांसप्लांट कई संगठनों और एनजीओ की मदद संभव हुआ, जिन्होंने ट्रांसप्लांट के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की। ट्रांसप्लांट के 2 सप्ताह के बाद बच्चे को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। पीलिया के पूर्ण समाधान के साथ-साथ, लीवर ट्रांसप्लांट से पहले उनकी आंखों का असामान्य उभार भी तेजी से ठीक हो गया है।
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