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    Farmers Protest: किसान संगठनों को हाथ से मौका निकलने का सता रहा डर, केंद्र से बोले- 'जल्‍द से जल्‍द करें कोई समाधान'

    Updated: Fri, 16 Feb 2024 08:21 PM (IST)

    Farmers Protest किसानों को हाथ से मौका निकलने का डर सता रहा है। गुरुवार को तीसरे दौर की बैठक में कोई समाधान न निकलने पर किसानों ने केंद्र को चेतावनी दे दी है। किसानों ने दलील दी कि आंदोलन में उनके साथ आए युवाओं को इतनी देर तक रोके रखना हमारे बस की बात नहीं है। वे ज्यादा उग्र हो रहे हैं इससे माहौल खराब होने की आशंका है।

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    किसान संगठनों को मौका हाथ से निकलने का सता रहा डर

    इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। गुरुवार की रात को आठ बजे से लेकर डेढ़ बजे तक केंद्रीय मंत्रियों और किसान संगठनों के बीच हुई तीसरी मैराथन बैठक में चाहे कोई फैसला न हो पाया हो लेकिन किसान नेता अपनी मांगों को जल्द पूरा करवाने पर अड़े हुए हैं। गुरुवार देर रात बैठक में जब यह फैसला हुआ कि अब रविवार को दोबारा बैठक होगी तो किसान नेता करीब डेढ़ घंटे तक इसी बात पर अड़े रहे कि यह बैठक एक-दो दिन में ही रखी जाए।

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    किसानों ने दलील दी कि आंदोलन में उनके साथ आए युवाओं को इतनी देर तक रोके रखना हमारे बस की बात नहीं है। वे ज्यादा उग्र हो रहे हैं इससे माहौल खराब होने की आशंका है। इस पर एक मंत्री ने तो यहां तक कहा कि आप किसान नेता हैं अगर आपका काडर ही आपके बस में नहीं हैं तो आप उन्हें अपने साथ क्यों लेकर आए। किसान नेता उन्हें समझाते रहे कि आंदोलन में हर तरह के व्यक्ति आते हैं और सभी की अपने-अपने स्थान पर जरूरत होती है।

    जानबूझकर टाल रहे मामला- किसान नेता

    यही नहीं, किसान नेताओं को लग रहा था कि केंद्रीय मंत्री टालने वाला रवैया अपना रहे हैं। जब केंद्रीय मंत्रियों ने अगली बैठक रविवार को रखने के बारे में कहा तो किसान नेता इस बैठक को शनिवार को करने पर अड़ गए। उन्होंने आरोप लगाया कि मंत्री जानबूझकर मामले को टाल रहे हैं क्योंकि वे नहीं चाहते कि किसानों की मांगें मानी जाएं।

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    भारतीय किसान यूनियन सिद्धूपुर के प्रधान जगजीत सिंह डल्लेवाल ने मंत्रियों से कहा कि किसी भी समय चुनाव की घोषणा हो जाएगी और चुनाव आचार संहिता लग जाएगी। ऐसे में उन्हें जहां खाली हाथ जाना पड़ेगा वहीं, उस समय युवा क्या रुख अपनाएं यह हम नहीं कह सकते।

    एमएसपी की गारंटी से कम कुछ भी नहीं मंजूर

    किसान संगठनों को यह भी पता है कि बातचीत जितनी लंबी खिंचेगी किसानी संघर्ष उतना ही कमजोर पड़ता जाएगा इसलिए वे किसी न किसी तरह से कोई हल चाहते हैं। युवाओं की उग्रता तो वहां देखते ही बन रही है। स्टेज से बार-बार ये घोषणाएं की जा रही हैं कि युवा पीछे रहे लेकिन वे घग्गर नदी के बीच से जाकर सुरक्षा कर्मियों को उकसा रहे हैं।

    उन्हें आगे बढ़ता देखकर हरियाणा की ओर बैठे पुलिस कर्मी आंसू गैस के गोले छोड़ रहे हैं या फिर प्लास्टिक की गोलियां चला रहे हैं जिससे कई किसान घायल हो गए हैं। यहां तक कि तीन किसानों की आंखों की रोशनी भी चली गई है। इसके बावजूद युवा पीछे हटने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि लीडरशिप चाहे केंद्रीय मंत्रियों से जो फैसला करवाए, हमें एमएसएपी की गारंटी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।

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    हमारी मांगें पूरी न होने पर पंजाब को होगा नुकसान- किसान 

    बैठक में एमएसपी को लेकर भी काफी चर्चा हुई जिसमें केंद्रीय मंत्रियों ने दलील दी कि पंजाब के किसानों को गेहूं और धान का पूरा एमएसपी मिलता है और उनके एक-एक दाने की खरीद होती है। अगर केंद्र सरकार अपनी जरूरत को दूसरे राज्यों से पूरा करना शुरू करेगी तो इससे पंजाब का ही कोटा कम होगा, जिससे उनका नुकसान होगा। लेकिन किसान इस बात को समझने के लिए भी तैयार नहीं थे।

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