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    किसानों को मिलती है 3000 महीना पेंशन, PM कृषि मान-धन योजना से कहीं आप भी तो नहीं हैं अनजान

    Updated: Thu, 21 Aug 2025 09:59 PM (IST)

    आंध्र प्रदेश में प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के लाभार्थियों की जानकारी कृषि मंत्री ने दी। पंजाब के किसान संगठनों को इस योजना की जानकारी नहीं है जबकि वे किसानों के लिए पेंशन की मांग करते रहे हैं। यह योजना 2019 में शुरू हुई थी जिसके तहत 60 वर्ष की आयु के बाद किसानों को 3000 रुपये की मासिक पेंशन मिलती है।

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    पंजाब के किसान पीएम कृषि मान-धन योजना से अनजान हैं। सांकेतिक तस्वीर

    इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। 19 अगस्त को जब लोकसभा में तेलगू देशम पार्टी के सांसद लावू श्री कृष्णा देवरायलू ने कृषि मंत्री को यह सवाल लगाया कि क्या सरकार को पता है कि आंध्र प्रदेश के सभी जिलों में प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना (पीएमकेएमवाई) के लाभार्थी नहीं हैं तो कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस योजना के बारे और आंध्र प्रदेश में किन जिलों में कितने-कितने लाभार्थी हैं, इसकी जानकारी दे दी।

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    लेकिन क्या पंजाब के उन किसान संगठनों को इसकी जानकारी है, जिनकी मांगों की फेहरिस्त में किसानों के लिए पेंशन योजना देने की एक मांग शामिल होती है? पंजाब के दो सबसे बड़े किसान संगठनों, भारतीय किसान यूनियन राजेवाल और भाकियू सिद्धुपर के प्रधानों ने तो इस पर साफ हाथ खड़े कर दिए हैं।

    भाकियू प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल और न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग को लेकर एक साल से ज्यादा लंबे समय तक अनशन करने वाले जगजीत सिंह डल्लेवाल ने बताया कि सरकार ने कभी इस योजना का प्रचार ही नहीं किया। इसलिए हमें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।

    किसान संगठन साठ साल की आयु वाले किसानों को पेंशन देने की मांग तो लंबे समय से कर रहे हैं लेकिन इस केंद्रीय योजना के बारे में जानकारी किसी को नहीं है। यही नहीं, सरकार में कृषि संबंधित केंद्रीय योजनाओं को देखने वाले अधिकारियों को भी यह नहीं पता है कि इस तरह की कोई योजना है।

    क्या है यह योजना?

    कृषि मंत्री शिवराज चौहान ने जो जानकारी लोकसभा में टीडीपी के सांसद को दी है उसके अनुसार प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना लघु एवं सीमांत किसानों को वृद्धावस्था में फाइनेंसियल एवं सोशल सिक्योरिटी प्रदान करने के उद्देश्य 2019 में शुरू की गई थी।

    इस योजना के अंतर्गत किसानों को 60 वर्ष की आयु के बाद हर महीने रूपये 3000 की पेंशन दी जाती है। यह एक स्वैच्छिक एवं अंशदान आधारित पेंशन योजना है। यानी इस योजना में एनरोल होने की कोई बाध्यता नहीं है। किसानों को योजना के मैच्योरिटी तक एक निश्चित राशि का भुगतान करना होता है। सरकार भी समान राशि पेंशन फंड में जमा करवाती है।

    जीवन बीमा निगम की ओर से चलाई जाने वाली इस योजना में दो हेक्टेयर तक की खेती योग्य भूमि वाले छोटे एवं सीमांत किसान इस योजना के लिए पात्र हैं। किसान की आयु 18 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए । साथ ही उसका नाम एक जनवरी 2019 तक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के भूमि रिकॉर्ड में दर्ज होना चाहिए।

    किसान के पास आधार कार्ड एवं बचत बैंक खाता/पीएम-किसान खाता होना चाहिए। इस योजना के तहत 18 से 40 वर्ष की आयु के किसान जिनके पास पांच एकड़ से कम जमीन है, हर महीने 50 से 200 रुपये देकर 60 वर्ष की आयु के बाद तीन हजार रुपये मासिक पेंशन के हकदार होंगे।

    इस योजना के बारे में ज्यादा प्रचार नहीं किया गया: राजेवाल

    भाकियू के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि इस योजना के बारे में ज्यादा प्रचार नहीं किया गया है। लेकिन मैं इसकी पूरी जानकारी लेकर अपनी महीनावार होने वाली बैठकों, धरनों आदि के दौरान किसानों को अवगत करवाऊंगा। लगभग ऐसी ही बात जगजीत सिंह डल्लेवाल ने भी कही।

    काबिले गौर है कि एक दशक पहले भी ऐसी ही एक योजना तैयार की गई थी, जिसमें किसानों से उनकी फसल मंडियों में आने पर उनसे 0.25 प्रतिशत प्रीमियम लेने का प्रावधान किया गया था और इतनी राशि राज्य सरकार अथवा मंडी बोर्ड ने देनी थी।

    शेष राशि केंद्र सरकार को देने का सुझाव दिया गया लेकिन किसान 0.25 प्रतिशत राशि न देने पर अड़ गए जिस कारण यह योजना सिरे नहीं चढ़ सकी।