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    Punjab Election Result 2022 LIVE: पंजाब में तीन कृषि कानूनों की लड़ाई लड़ने वाले किसान बुरी तरह हारे

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Thu, 10 Mar 2022 04:21 PM (IST)

    Punjab Chunav Result 2022 पंजाब विधानसभा चुनाव में किसानों के संगठन के मैदान में थे। यह वही संगठन थे जिन्होंने तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन किया। चुनाव में जनता ने इन किसानों को बुरी तरह से नकार दिया।

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    पंजाब चुनाव परिणाम 2022: बलबीर सिंह राजेवाल की फाइल फोटो।

    इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। Punjab Election Result 2022: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से ज्यादा लंबी लड़ाई लड़ने वाले किसान नेता पंजाब के चुनाव में बुरी तरह से हार गए। यहां तक कि किसान मोर्चे को लीड करने वाले बलबीर सिंह राजेवाल को भी मात्र 4626 वोट मिले हैं।

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    समराला सीट से उनकी जमानत जब्त हो गई है। हालांकि चुनाव में कूदने को लेकर किसान संगठनों में भारी मतभेद था इसके बावजूद बलबीर सिंह राजेवाल चुनाव लड़ने को बजिद थे और कहते थे कि वह सिस्टम में बदलाव करना चाहते हैं।

    दूसरी ओर, पूरा साल भर किसानों के निशाने पर रही भारतीय जनता पार्टी भी बेशक दो सीटों पर ही सिमट गई है और उसका कैप्टन अमरिंदर सिंह व सुखदेव सिंह ढींडसा की पार्टियों के साथ किया समझौता भाजपा के काम नहीं आ सका। खुद कैप्टन अमरिंदर सिंह जहां चुनाव हार गए।

    वहीं, सुखदेव सिंह ढींडसा भी अपने बेटे परमिंदर सिंह ढींडसा की सीट को नहीं बचा सके, लेकिन भाजपा ने 2017 के मुकाबले में अपने वोट बैंक में इजाफा किया है। पिछले चुनाव में पार्टी को बड़ी हार के बावजूद 5.4 फीसद वोट मिले थे जो इस बार पार्टी ने 6.56 फीसद कर लिया है।

    पंजाब के लोगों ने किसानों की बदलाव वाली बात तो सुन ली, लेकिन ऐसा करने के लिए उन्होंने संयुक्त समाज मोर्चा के बजाय आम आदमी पार्टी का साथ दिया। खुद राजेवाल को आप के जगतार सिंह दयालपुरा ने हराया है।

    चुनाव से ठीक पहले संयुक्त समाज मोर्चा आम आदमी पार्टी के साथ समझौता करके लड़ना चाहता था, लेकिन दोनों पार्टियों में सीटों को लेकर सहमति नहीं बनी। एक साल तक आंदोलन करने के चलते जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कानूनों को रीपील करने का ऐलान किया था, किसान उसे अपनी बड़ी जीत मानकर चल रहे थे और उनका दावा था कि पंजाब के लोग इसी मुद्दे पर वोट करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

    किसान संगठनों को पहला बड़ा झटका उस समय लगा जब 32 में से 11 बड़े किसान संगठनों ने उनके साथ चलने से यह कहते हुए इन्कार कर दिया कि उनके संविधान में चुनाव लड़ना नहीं है। राजेवाल के अलावा अन्य किसान संगठनों का कोई भी बड़ा नेता चुनाव मैदान में नहीं उतरा।

    यहां तक कि चुनाव न लड़ने वाले किसान संगठनों जिनमें भाकियू उगराहां भी शामिल है के लोगों ने किसान संगठनों का साथ नहीं दिया जिस कारण चुनाव में उनको बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा है। चूंकि सभी आजाद तौर पर चुनाव लड़ रहे थे इसलिए किसान संगठनों का कितना वोट प्रतिशत मिला है, यह अभी तय नहीं है लेकिन मौड़ सीट से लक्खा सिधाणा को छोड़कर कोई भी उम्मीदवार दूसरे स्थान पर भी नहीं आ पाया है।