किसान कर्जमाफी कैप्टन सरकार के लिए बनी 'भंवर', नई पेचीदगियां में उलझी
पंजाब सरकार के लिए किसानों कीे कर्जमाफी भंवर साबित हो रही है। कर्जमाफी की दिशा में एक के बाद एक पेंच आने से सरकार परेशान है।
जेएनएन, चंडीगढ़। किसानों की कर्जमाफी पंजाब सरकार के लिए 'भंवर' बनती जा रही है। सरकार जितना इससे निकलने की कोशिश कर रही है, उतना ही फंसती जा रही है। किसानों का व्यक्तिगत डाटा बैंक से लेने का तोड़ सरकार ने खोजा तो अब नई समस्या यह सामने आ गई है कि पांच साल में 9,500 करोड़ रुपये का कर्ज माफ होगा तो इस दरम्यान कर्ज पर लगने वाला ब्याज ही 2,500 करोड़ रुपये बढ़ जाएगा। यह समस्या वित्तमंत्री मनप्रीत बादल की अगुआई में हुई हक कमेटी और बैंकर्स कमेटी के बीच हुई बैठक में निकल कर सामने आई।
किसान अपना डाटा शेयर करने के लिए बैंक को देंगे अंडरटेकिंग
सरकार के लिए सबसे बड़ी परेशानी किसानों के व्यक्तिगत डाटा की थी। आरबीआई के नियमानुसार बैंक किसी भी ग्राहक का व्यक्तिगत डाटा किसी के साथ शेयर नहीं कर सकता। इस अड़चन का हल यह निकाला गया है कि सरकार एक फार्म तैयार करेगी, जिसके माध्यम से किसान बैंक को यह अंडर टेकिंग देंगे कि वह उनका डाटा सरकार के साथ शेयर करे। इसके बाद ही बैंक सरकार के साथ डाटा शेयर करेगी, लेकिन इसके लिए आरबीआइ से अप्रूवल भी बैंक को लेनी होगी।
वहीं, बैंकर्स ने बैठक में यह मुद्दा उठाया कि पंजाब सरकार पांच एकड़ तक के 10.25 लाख किसानों का दो लाख रुपये तक का कर्ज पांच वर्षों में माफ करेगी। पहले साल 1500 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। पांच साल का चक्र जब तक पूरा होगा, तब तक इस कर्ज पर करीब 2,500 करोड़ रुपये का ब्याज लग चुका होगा। इसका भुगतान कैसे होगा, क्योंकि किसानों ने तो अभी से ही किस्त का भुगतान करना बंद कर दिया है।
दूसरा पेंच यह भी है कि आत्महत्या कर चुके किसानों का पूरा कर्ज माफ होगा। जिस समय किसान कर्ज माफी की घोषणा की गई थी तब तक 7 हजार किसानों के आत्महत्या का आंकड़ा था, जोकि लगातार बढ़ता ही जा रहा है। आत्महत्या करने वाले किसानों का पूर्ण कर्ज माफी भी 9,500 करोड़ के बीच से होना है, जिससे भी बजट के हिलने की पूरी संभावना है।
36,000 करोड़ रुपये का कर्ज
छोटे और मझोले किसानों के ऊपर बैंकों का कर्ज 36,000 करोड़ रुपये है। पंजाब सरकार अगर पांच साल में 9,500 करोड़ रुपये का कर्ज माफी करती है तो भी किसान बाकी के कर्ज तले दबे रहेंगे। चूंकि, किसान पहले ही कर्ज की किस्त नहीं दे रहे है। इसके कारण किसानों पर कर्ज बढऩा तय हो गया है, क्योंकि बैंक को तो कर्ज पर ब्याज लगाना ही है।
एक माह में नतीजे के नजदीक पहुंच जाएंगे : मनप्रीत
वित्तमंत्री मनप्रीत बादल का कहना है कि सरकार के पास कर्ज का तो डाटा था, लेकिन उनका व्यक्तिगत डाटा नहीं था। इसका हल निकाला गया है। इसी लिए केंद्र सरकार के पास भी 6000 करोड़ रुपये के कर्ज को टर्म लोन में बदलने का मुद्दा उठाया गया था। अगर ऐसा होता है तो और आसानी हो जाएगी। एक माह के अंदर किसानों की कर्जमाफी की रूपरेखा स्पष्ट हो जाएगी।
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