चंडीगढ़ में नकली मेजर ने क्राइम ब्रांच को बनाया बेवकूफ, केस अब ऑपरेशन सेल के हवाले
नकली मेजर बनकर महिला पुलिसकर्मी से ठगी के मामले में गणेश भट्ट की गिरफ्तारी के बाद क्राइम ब्रांच सवालों के घेरे में है। क्योंकि क्राइम ब्रांच के ही एक इंस्पेक्टर पर मिलीभगत के आरोप हैं। इसी वजह से जांच क्राइम ब्रांच से लेकर ऑपरेशन सेल को दी गई है। गणेश भट्ट पर पहले से ही कई धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। नकली मेजर बनकर पुलिस और आम लोगों को लंबे समय तक गुमराह करने वाले गणेश भट्ट की गिरफ्तारी के बाद क्राइम ब्रांच सवालों के घेरे में आ गई है। इसी वजह से केस की जांच क्राइम ब्रांच से लेकर ऑपरेशन सेल को दे दी गई है। गणेश भट्ट पर आरोप है कि उसने पुलिस में नौकरी लगवाने के नाम पर एक महिला पुलिसकर्मी से पांच लाख रुपये की ठगी की।
आरोप है कि यह रकम क्राइम ब्रांच के एक पूर्व इंस्पेक्टर के खाते में ट्रांसफर कर दी गई थी। यही इंस्पेक्टर पहले गणेश भट्ट पर बेहद भरोसा करता था और उसे अपनी गाड़ी, गनमैन और अन्य सुविधाओं तक इस्तेमाल करने की अनुमति देता था। क्राइम ब्रांच ने गणेश भट्ट को गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट से सात दिन का पुलिस रिमांड मांगा था, ताकि विस्तृत जांच की जा सके। लेकिन कोर्ट ने एक दिन का भी रिमांड देने से इनकार कर दिया और उसे जेल भेज दिया।
इसके बाद क्राइम ब्रांच ने पुन सात दिन का प्रोडक्शन वारंट लगाया,लेकिन इस बार भी कोर्ट ने अनुमति नहीं दी। कोर्ट ने इस बीच डीजीपी सागर प्रीत हुड्डा से पूछा कि क्यों ना इस केस की जांच किसी और यूनिट को सौंप दी जाए। इसके बाद शनिवार को केस को ऑपरेशन सेल को ट्रांसफर कर दिया गया है। ऑपरेशन सेल अपनी जांच में क्राइम ब्रांच के पूर्व इंस्पेक्टर को भी शामिल करेगी।
पुराने मामलों का खुलासा
गणेश भट्ट के खिलाफ पहले से ही मेरठ, पंचकूला, देहरादून और चंडीगढ़ में चार धोखाधड़ी के मामले दर्ज हैं। सूत्रों के अनुसार, वह लंबे समय से पुलिस और आम लोगों को गुमराह करता रहा है और खुद को आर्मी मेजर बताकर रौब झाड़ता रहा है। गणेश भट्ट के इस कारनामे से न सिर्फ क्राइम ब्रांच की छवि धूमिल हुई है, बल्कि पुलिस विभाग के भीतर भी सवाल खड़े हो गए हैं।
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