एनवायरमेंट सोसायटी ऑफ चंडीगढ़ ने शुरू की बाउल ऑफ लव मुहीम, ताकि गर्मियों में प्यासे न रहें पशु-पक्षी
इन दिनों गर्मी चरम पर है। ऐसे में बहुत से जलस्रोत सुखने लग गए हैं। गर्मियों में पानी न मिलने की वजह से पक्षियों की मौत हो जाती है। इसको ध्यान में रखते हुए एनवायरमेंट सोसायटी ऑफ चंडीगढ़ ने खास मुहीम बाउल ऑफ लव शुरू की है।

चंडीगढ़, वैभव शर्मा। इंसान बोल कर अपनी समस्याओं को बता सकता है, लेकिन बेजुबान पशु और पक्षी ऐसा नहीं कर सकते। इन दिनों गर्मी चरम पर है। ऐसे में बहुत से जलस्रोत सुखने लग गए हैं। गर्मियों में पानी न मिलने की वजह से पक्षियों की मौत हो जाती है। इसको ध्यान में रखते हुए एनवायरमेंट सोसायटी ऑफ चंडीगढ़ ने खास मुहीम बाउल ऑफ लव शुरू की है। इस कार्य में एनवायरमेंट सोसायटी ऑफ इंडिया भी सहयोग कर रही है।
इस मुहीम के तहत लोगों को पशु-पक्षियों के लिए पानी के कटोरे रखने के लिए जागरूक कर रहे हैं और जगह जगह पर पक्षियों के लिए कसोरों को रखा जा रहा है। इस कार्य में 20 लोगों की टीम पूरे शहर में कार्य कर रही है। यह टीम घर घर जाकर लोगों को जागरूक करने के साथ ही मार्केट, चौराहों और लाइट प्वाइंट पर कसोरों को रखा जा रहा है। इस मुहीम में आम जनता भी अपना सहयोग कर रही है। सोसायटी की तरफ से शहर के लोगों को मिट्टी के कसोरे भी बांटे जा रहे हैं, जिससे कि रोजाना पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी रखा जा सके।
शहर में 17 मई से शुरू हुई मुहीम
एनवायरमेंट सोसायटी ऑफ इंडिया के सचिव एनके झिंगन ने कहा कि यह चंडीगढ़ में अलग तरह की मुहीम है जहां पर लोगों को घर घर जाकर जागरूक किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह मुहीम 17 मई से शुरू हुई थी जिसके तहत अभी तक 30 से ज्यादा कसोरे सेक्टर-17 के अलावा अन्य जगहों पर रखे गए हैं। इस कार्य के लिए नए के साथ पुराने कसोरों का भी प्रयोग किया जा रहा है।
शहरवासी भी कर रहे सहयोग
इस कार्य में शहरवासी भी अपना योगदान देने में पीछे नहीं हट रहे हैं। सेक्टर-19, 27, 30, 32, 38 आदि सेक्टरों के अलावा पुलिस और फायर स्टेशनों में भी पशु-पक्षियों के लिए कसोरे रखे गए है। अगर कुम्हारों की मानें तो इस सीजन अभी तक उनके यहां से तीन हजार से ज्यादा कसोरे बीके हैं। बाउल ऑफ लव अभियान के तहत संस्था से जुड़े लोग आम जनता को पशु-पक्षियों के लिए अपने घरों के आंगन व छत पर पानी के भरे मिट्टी के कसोरे रखने के लिए जागरूक कर रहे हैं, जिससे गर्मियों में पशु-पक्षियों को भूख-प्यास से परेशान न होना पड़े।
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