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    पूरा चंडीगढ़ हेरिटेज सिटी नहीं, केंद्र के इस जवाब पर बढ़ी लोगों की चिंता, प्रशासन की रोक की वजह से नहीं बेच पा रहे प्रापर्टी

    Updated: Mon, 11 Aug 2025 12:42 PM (IST)

    चंडीगढ़ को हेरिटेज सिटी घोषित किए जाने के इंतजार में प्रशासन ने कई कार्यों पर रोक लगाई हुई है। अब इस दावे की हवा निकलती देख शहरवासियों की परेशानी बढ़ गई है। उनका यह भी तर्क है कि जब प्रशासन मनमाने ढंग से शहर में बदलाव कर रहा है तो लोगों के कार्य क्यों रोके हुए है।

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    प्रशासन ने शहर में सरकारी ही नहीं लोगों की निजी प्रापर्टी को भी हेरिटेज घोषित किया हुआ है ।

    राजेश ढल्ल, चंडीगढ़। पूरा चंडीगढ़ हेरिटेज सिटी नहीं है और सेक्टर 30 के बाद कोई भी क्षेत्र हेरिटेज की श्रेणी में नहीं आता। केंद्र सरकार की ओर से संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस बात को लोकसभा में सांसद मनीष तिवारी के पूछे गए सवाल के जवाब में स्पष्ट किया है। इससे चंडीगढ़ को हेरिटेज सिटी घोषित करने के दावे की हवा निकाल गई है। दूसरी तरफ चंडीगढ़ को हेरिटेज बताते हुए प्रशासन की रोक की वजह से शहरवासियों के प्रापर्टी संबंधी कार्य सिरे नहीं चढ़ पा रहे।

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     सांसद तिवारी ने लोकसभा में प्रशासन की ओर से गठित हेरिटेज कमेटी पर सवाल उठाया। उनके सवाल पर मिले जवाब से यह साफ हो गया है कि चंडीगढ़ हेरिटेज कंज़र्वेशन कमेटी का गठन किसी केंद्रीय या राज्य कानून के तहत नहीं, बल्कि महज प्रशासनिक आदेश से हुआ है।

    संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के लिखित उत्तर के अनुसार यह कमेटी 20 अप्रैल 2012 को चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा गृह मंत्रालय की मंज़ूरी के बाद गठित की गई थी। इसका उद्देश्य सेक्टर 1 से 30 तक के 13 हेरिटेज ज़ोन और इमारतों का संरक्षण, पुनर्स्थापन और रख-रखाव सुनिश्चित करना है। विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के अनुसार, इन 13 हेरिटेज ज़ोन को उनकी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और स्थापत्य महत्व के आधार पर ग्रेड-1, 2 और 3 में वर्गीकृत किया गया है।

    यह आएगी लोगों को परेशानी

    प्रशासन की ओर से हेरिटेज सिटी घोषित के कारण शहरवासियों के कई काम रुके हुए हैं जिनमे शेयर वाइज प्रापर्टी का पंजीकरण पिछले दो साल से रोका हुआ है। इसी कारण ही शहर में कोई भी कामर्शियल प्रापर्टी नहीं बिक रही है। प्रशासन ने शहर में सरकारी ही नहीं लोगों की निजी प्रापर्टी को भी हेरिटेज घोषित किया हुआ है ।

    सोमवार को लोकसभा में केंद्र सरकार की ओर से दिए गए उत्तर में यह भी स्पष्ट किया गया कि पूरा चंडीगढ़ हेरिटेज सिटी नहीं है और सेक्टर 30 के बाद कोई भी क्षेत्र हेरिटेज की श्रेणी में नहीं आता। 

    मनीष तिवारी ने कमेटी को लेकर सवाल उठाया कि सरकार ने जिस सर्वोच्च न्यायालय के फ़ैसले का हवाला दिया है, वह स्पष्ट नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि हेरिटेज कमेटी चंडीगढ़ की प्रगति और विकास की अंतिम निर्णायक संस्था नहीं बन सकती, क्योंकि इसका कोई विधिक (कानूनी) आधार नहीं है और यह किसी संसदीय क़ानून के तहत गठित नहीं हुई है ।

    प्रशासन हेरिटज को अपने हिसाब से मोड़ लेता है

    हेरिटेज नियम को प्रशासन अपने हिसाब से मोड़ लेता है। शहर के कई चौराहें इस समय हटा दिए गए हैं। कई चौराहों को छोटा किया गया। कई पर ट्रैफिक लाइट लगा दी गई। मटका चौक पर लोहे की तारे लगा दी गई जबकि हेरिटेज के हिसाब से ऐसा नहीं हो सकता।

    हेरिटेज सिटी में पूरे शहर के बाजारों की इमारतों का रंग एक जैसा होना चाहिए लेकिन इस समय ऐसा नहीं है। प्रशासन ने शहर की कई सड़कों को अपने हिसाब से चौड़ा किया है।कई साल पहले शहर में कोला डिपो थे लेकिन उन्हें कमर्शियल साइट में बदलने की मंजूरी प्रशासन ने ही दी।

    600 करोड़ रुपये के रुके हुए हैं सौदे

    शेयर वाइज प्रापर्टी का पंजीकरण बंद होने से पिछले पौने साल में सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ की प्रापर्टी की कीमतों में भारी उछाल आया है। शेयर वाइज प्रापर्टी पर पाबंदी लगने से 600 करोड़ रुपये के सौदे रुके हुए हैं जो कि इस रोक के हटने का इंतजार कर रहे हैं। हेरिटेज सेक्टर-1 से 30 तक के रिहायशी इलाकों में प्रापर्टी की कीमतें दक्षिणी सेक्टरों के मुकाबले में ज्यादा बढ़ गए हैं। आलीशान कोठियों के रेट बहुत बढ़ गए हैं।

    प्रशासन की मनमानी

    सेकेंड इनिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष आरके गर्ग का कहना है कि असल में हेरिटज के नियम प्रशासन के अधिकारी अपने हिसाब से बदल लेते हैं। शहरवासियों से जुड़े काम हेरिटेज सिटी का हवाला देते हुए रोक लिए जाते हैं । जबकि प्रशासन अपने काम करते रहते हैं । इससे शहर पिछड़ता जा रहा है। असल में हेरिटेज के नाम पर प्रशासन मिसयूज कर रहे हैं और शहर का विकास रुका हुआ है। 100 साल पुरानी चीज को हेरिटेज घोषित किया जाता है जबकि चंडीगढ़ को बने हुए ही 100 साल नहीं हुए हैं।