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HC का बड़ा आदेश, डिस्टेंस एजुकेशन से डिग्री लेने वाले इंजीनियरों की नौकरी फिर खतरे में

पत्रााचार से इंजीनियरिंग करने वालों की नौकरी खतरे में है। हाई कोर्ट ने उनकी शैक्षणिक योग्यता के लिए एआइसीटीई द्वारा ली गई वैधता परीक्षा परिणाम दोबारा निर्धारित करने को कहा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 02:16 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 04:19 PM (IST)
HC का बड़ा आदेश, डिस्टेंस एजुकेशन से डिग्री लेने वाले इंजीनियरों की नौकरी फिर खतरे में

चंडीगढ़, [कमल जोशी]। लगभग 15 वर्ष पहले डीम्ड यूनिवर्सिटियों से पत्राचार के माध्यम से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल कर इंजीनियरों की नौकरी पाने वालों पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने ऐसी डिग्रियों से पीएसपीसीएल (पंजाब स्टेट पॉवर कॉरपोरेशन लिमिटेड) में वर्षों से कार्यरत इंजीनियरों की शैक्षणिक योग्यता के लिए एआइसीटीई (ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन) की ओर से ली गई वैधता परीक्षा के परिणाम दोबारा निर्धारित करने के आदेश दिए हैं।

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हाई कोर्ट ने एआइसीटीई से वैधता परीक्षा के नियमों में बदलाव को खारिज किया

एआइसीटीई की ओर से वर्ष 2018 में ली गई इस परीक्षा में ऐसे कुल 4960 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, जिन्होंने वर्ष 2001 से 2005 के बीच राजस्थान स्थित आइएएसई या जेआरएन राजस्थान विद्यापीठ, इलाहाबाद स्थित इलाहाबाद एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट, तमिलनाडू स्थित विनायक मिशन रिसर्च फाउंडेशन डीम्ड यूनिवर्सिटियों के इंजीनियरिंग के पत्राचार कोर्सों से डिग्री हासिल की थी।

वर्ष 2018 में हुई परीक्षा के दोबारा परिणाम घोषित करने के आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2017 में इन संस्थानों की ओर से जारी इंजीनियरिंग की डिग्रियों को अमान्य घोषित कर दिया था। इन डिग्रियों से नौकरियां कर रहे इंजीनियरों को योग्यता साबित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी, 2018 में मानवीय आधार पर वैधता परीक्षा में अवसर दिए जाने के आदेश दिए थे। इस परीक्षा के अधिक से अधिक दो अवसरों में इन इंजीनियरों को अपनी डिग्री की वैधता परीक्षा पास करनी थी।

ये थे नियम

एआइसीटीई ने 25 जनवरी, 2018 को इस परीक्षा के नियम अधिसूचित किए।  हर परीक्षार्थी को इंजीनियरिंग की लिखित और पे्रक्टिकल परीक्षा में 40-40 फीसद अंक लेकर पास होना अनिवार्य था। इस नियम के आधार पर एआइसीटीई ने 3 जून, 2018 को परीक्षा आयोजित की। इस परीक्षा के बाद एआइसीटीई ने दो बार पास अंकों के नियमों में बदलाव कर दिए। एआईसीटीई ने पहले दोनों परीक्षाओं में मिलाकर अंक 40 फीसद अंकों को पास बना दिया फिर जून, 2018 या दिसंबर, 2018 में दोबारा ली गई परीक्षा में लिखित और प्रैक्टिकल परीक्षा के श्रेष्ठ अंकों के मान्य होने का नियम बना दिया।

क्या है याचिका में

परीक्षा के नियमों में हुए इन्हीं बदलावों की बदौलत इस परीक्षा में शामिल हुए 3645 परीक्षार्थी इंजीनियरों में से 1448 परीक्षार्थी अपनी योग्यता साबित करने में कामयाब हुए। परीक्षा के बाद इसके नियमों में बदलाव के खिलाफ हाई कोर्ट में दायर याचिका में जतिंदर सिंह व अन्य याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि नियमों में बदलाव के चलते अपनी डिग्री मान्य साबित करने में कामयाब रहे इंजीनियरों की वजह से उनके नौकरी के हित आहत हो रहे हैं।

पदोन्नति की प्रक्रिया पर लगा दी थी रोक

वैधता परीक्षा के बाद नियमों में फेरबदल किए जाने को कानूनी तौर पर बुरा घोषित करते हुए जस्टिस तेजिंदर सिंह ढींडसा ने अपने आदेशों में कहा है कि एआइसीटीई, वैधता परीक्षा के लिए 25 जनवरी, 2018 को घोषित किए गए नियमों के तहत दोबारा परिणामों की घोषणा करे। यह मामला हाई कोर्ट पहुंचने के बाद अदालत ने पीएसपीसीएल में जूनियर इंजीनियर से एसडीओ की  पदोन्नति की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।

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