'सरकारी शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों में न लगाएं', शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस का सख्त रुख; बोले- क्लास रूम पहले
पंजाब के स्कूल शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने सरकारी स्कूलों के शिक्षकों से गैर-शैक्षणिक कार्य न कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का स्थान क्लासरूम में है। RTE एक्ट 2009 के तहत शिक्षकों को केवल जनगणना आपदा राहत या चुनाव जैसे कार्यों में लगाया जा सकता है। शिक्षा विभाग की अनुमति के बिना किसी भी शिक्षक को गैर-शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाया जाएगा।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। स्कूल शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि सरकारी स्कूलों के अध्यापकों से किसी भी प्रकार का गैर-शैक्षणिक या प्रशासनिक कार्य न कराया जाए। उन्होंने साफ कहा कि शिक्षक का स्थान क्लासरूम में है, दफ्तरों में नहीं।
बैंस ने कई जिलों से आई शिकायतों पर गंभीर संज्ञान लिया है कि शिक्षकों को पढ़ाई से हटाकर दफ्तरी या प्रशासनिक कामों में लगाया जा रहा है। इसे उन्होंने शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों के साथ अन्याय बताया। उन्होंने कहा कि अध्यापक केवल सरकारी कर्मचारी नहीं, बल्कि समाज के भविष्य को गढ़ने वाले ज्ञान के दीपक हैं।
शिक्षा मंत्री ने अपने पत्र में उल्लेख किया कि बच्चों के शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 की धारा 27 के तहत शिक्षकों को केवल जनगणना, आपदा राहत या चुनाव जैसे कार्यों में ही लगाया जा सकता है। इसके अलावा किसी अन्य कार्य के लिए उनकी नियुक्ति कानून के खिलाफ है।
हरजोत बैंस ने स्पष्ट कहा कि शिक्षकों की कक्षा में उपस्थिति “अपरिवर्तनीय” है और किसी भी जरूरी सरकारी कार्य के लिए उन्हें डिफाल्ट विकल्प नहीं माना जा सकता। उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि सभी विभागों व जिलों को सख्त आदेश जारी करें कि बिना शिक्षा विभाग की लिखित अनुमति के किसी भी शिक्षक को गैर-शैक्षणिक कार्य में न लगाया जाए।
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता सुधारना और हर बच्चे को निर्बाध शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित करना है। यह कदम उसी दिशा में एक बड़ा और निर्णायक प्रयास है।
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