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    चंडीगढ़ में ED का बड़ा एक्शन, फर्जी कॉल सेंटरों पर छापेमारी; विदेशी ग्राहकों से ठगी का खुलासा

    Updated: Thu, 24 Jul 2025 01:47 PM (IST)

    प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चंडीगढ़ समेत ट्राईसिटी में फर्जी कॉल सेंटरों पर छापेमारी की जो विदेशी ग्राहकों को तकनीकी सहायता के नाम पर धोखा दे रहे थे। जांच में पता चला कि ये कंपनियां वेब डिजाइनिंग और सॉफ्टवेयर सेवाओं का झूठा प्रचार करती थीं। इन्होंने विदेशों में कंपनियां खोलकर अवैध धन को भारत में मंगवाया।

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    चंडीगढ़ में ED ने की फर्जी कॉल सेंटरों पर छापेमारी (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार देर रात चंडीगढ़ समेत ट्राईसिटी में चल रहे कई फर्जी कॉल सेंटरों पर छापेमारी की। यह कॉल सेंटर विदेशी ग्राहकों को टेक्निकल सपोर्ट देने के नाम पर धोखाधड़ी कर रहे थे।

    ईडी की जांच में यह सामने आया है कि यह कॉल सेंटर चलाने वाली कंपनियां अपनी वेबसाइट्स पर वेब डिजाइनिंग, वायरलेस इंटरनेट सेवाएं और अन्य साफ्टवेयर सेवाओं का झूठा प्रचार करती थीं, जबकि इनके प्रमोटर, निदेशकों या कर्मचारियों का कोई रिकार्ड नहीं था।

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    ईडी के अधिकारियों ने बताया कि इन फर्जी कंपनियों ने विदेशों में भी कंपनियां खोली हुई थीं ताकि अवैध रूप से कमाए गए पैसे को पेमेंट गेटवे के जरिए विदेशों से भारत लाया जा सके।

    इन फंड्स को हवाला के जरिए देश में भेजा जाता था। यह पूरा आपरेशन गुप्त तरीके से चलाया जा रहा था। यहां तक कि कॉल सेंटरों में काम कर रहे कर्मचारी भी तकनीकी रूप से सक्षम नहीं थे।

    इन कंपनियों पर लगे फर्जीवाड़े के आरोप

    ईडी की कार्रवाई में "जीरकपुर स्थित एफएसएएल टेक्नोलाजी" नामक कंपनी के खिलाफ गंभीर सबूत सामने आए हैं। यह कंपनी अमेरिका स्थित एक फर्जी इकाई "बायोस टेक" के माध्यम से माइक्रोसाफ्ट, एचपी, अर्लो जैसे ब्रांड्स के नाम पर टेक्निकल सपोर्ट देने का दावा कर रही थी। जबकि कंपनी के पास ऐसे किसी काम का लाइसेंस भी नहीं था।

    इसके अलावा एफएसएएल टैकनोलाजी नामक कंपनी पर भी आरोप लगे हैं। यह कंपनी अमेरिका की नामचीन कंपनी "गीक स्क्वायड " की नकल करके बनाई गई एक स्पूफ वेबसाइट थी। इनके अलावा साहू जैन नामक शख्स द्वारा संचालित कंपनियां "टेरास्पार्क और विजनायर" भी टेक फ्रॉड में संलिप्त पाई गईं।

    जांच जारी...

    ईडी अधिकारियों के अनुसार, इस पूरे नेटवर्क के पीछे कई अन्य व्यक्तियों और कंपनियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। बरामद दस्तावेजों, डिजिटल उपकरणों और कॉल रिकार्डिंग्स का विश्लेषण जारी है।

    प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक इस फ्रॉड के जरिए करोड़ों रुपये की ठगी की गई है। ईडी जल्द ही आरोपितों के खिलाफ मनी लांड्रिंग और आइटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई करेगी।