मोहाली में भव्य दशहरा उत्सव, रावण दहन के साथ सेक्टर-79 में श्रीलंका किला; सेक्टर-77 में 42वां पर्व धूम से मनाया
मोहाली शहर में दशहरा पर्व धूमधाम से मनाया गया जो धर्म की अधर्म पर जीत का प्रतीक है। रावण मेघनाथ और कुंभकर्ण के ऊंचे पुतले विभिन्न स्थानों पर बनाए गए और जलाए गए। सेक्टर-79 में मोहाली कला संस्कृति एवं कल्याण क्लब ने रावण के पुतले के पास श्रीलंका का किला बनाया। सेक्टर-77 में दशहरा कमेटी मोहाली ने 42वां दशहरा पर्व मनाया।

संवाद सहयोगी, मोहाली। शहर में वीरवार को धर्म का अधर्म पर जीत का प्रतीक दशहरा पर्व खुशी से मनाया गया। शहर के विभिन्न स्थानों पर उंचे-उंचे रावण-मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलों को बनाया गया था।दोपहर बाद ही पर्व स्थल पर लोग पहुंचने शुरु हो गए थे।
मोहाली कला, संस्कृति एवं कल्याण क्लब की ओर से सेक्टर-79 में दशहरा पर्व को मनाने के लिए रावण के पुतले के पास श्रीलंका का किला बनाया गया था जहां गेटों पर बड़े-बड़े राक्षसों के कटआउट लगाए गए थे। यहां पर राम व रावण की सेना विभिन्न स्थानों से होते हुए ग्राउंड में पहुंची और फिर राम-रावण संवाद के बीच पुतलों को आग लगाई गई।
यहां पर मुख्य अतिथि के तौर पर विधायक कुलवंत सिंह पहुंचे हुए थे। इसके अलावा शहर के कई अन्य गणमाण्य लोग पहुंचे हुए थे।यहां पर झांकियां निकालने के लिए दिल्ली और राजस्थान से टीमें पहुंची हुई थी। सेक्टर-77 में दशहरा कमेटी मोहाली की ओर से अपना 42वां दशहरा पर्व मनाया गया। इस मौके यहां पर डीसी कोमल मित्तल मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंची। यहां पर भी राम-रावण के संवादों के बीच युद्ध के दृश्य दिखाए जाने के बाद पुतलाें को आग लगाई।
श्री रामलीला एवं दशहरा कमेटी, फेज़-1, मोहाली की ओर से भव्य दशहरा महोत्सव का आयोजन किया गया। मैदान में चारों ओर उत्साह और उल्लास का माहौल था। जैसे ही रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के विशालकाय पुतलों का दहन हुआ, पूरा परिसर जय श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा।यहां पर विधायक कुलवंत सिंह ने पुतलों को दहन करने से पहले पूजा अर्चना की।
इस मौके उन्होंने कहा कि दशहरा केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में मनाया जाता है। यह पर्व हमें यह संदेश देता है कि अच्छाई हमेशा बुराई पर विजय प्राप्त करती है। रावण-वध का मंचन और भगवान श्रीराम की विजय का दृश्य देखते ही दर्शक भाव-विभोर हो उठे। पुतला दहन के साथ की गई रंग-बिरंगी आतिशबाज़ी ने पूरे वातावरण को रोशनी और उमंग से भर दिया।
जब रावण का पुतला राख में तब्दील हुआ तो दर्शकों की आंखों में यह संदेश साफ झलक रहा था कि बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः उसका नाश निश्चित है। यही सीख हर पीढ़ी के लिए अमर हो गई। बलौंगी में दशहरा पर्व खुशी से मनाया गया। रावण-मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलों को बनाया गया था। इन पुतलों को आग लगाने से पहले लोगों ने अपने मोबाइल से फोटो खींची।
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