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    पंजाब में ड्रोन मार्ग बना तस्करों का नया रूट, छह गुना भिजवाया सिंथेटिक ड्रग्स

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 10:29 AM (IST)

    पंजाब में ड्रोन से नशे और हथियारों की तस्करी तेज़ी से बढ़ रही है। एनसीबी के अनुसार सिंथेटिक ड्रग्स का खतरा भी बढ़ रहा है जिनकी जब्ती 2019 से 2024 तक 6 गुना बढ़ गई है। तस्कर अब लंबी दूरी के हाई-टेक ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे खेपें सीमा से दूर गांवों तक पहुंच रही हैं।

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    पंजाब में ड्रोन से बढ़ती नशे की तस्करी।

    रोहित कुमार, चंडीगढ़। पंजाब में ड्रोन से नशे व हथियारों की तस्करी का सिलसिला लगातार तेज हो रहा है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के आंकड़ों के अनुसार सिंथेटिक ड्रग्स का खतरा लगातार बढ़ रहा है। पंजाब ही नहीं, पूरे देश में 2019 से 2024 तक सिंथेटिक ड्रग्स की जब्ती 6 गुना बढ़ गई। 2024 में 11,994 किलो सिंथेटिक ड्रग्स जब्त हुए। इनमें मेफेड्रोन, एमडीएमए, एम्फेटामाइन जैसे ड्रग्स शामिल हैं, जिनका सबसे अधिक उपयोग युवाओं में होता है।

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    2019 में पकड़े गए सिंथेटिक ड्रग्स की मात्रा 1890 किलो थी। ड्रोन मार्ग अब तस्करों का नया रूट बन चुका है। ड्रोन तस्करी के मामले 2021 में केवल 3 थे जो 2024 तक बढ़कर 179 हो गए। पंजाब सीमा क्षेत्र अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर, गुरदासपुर सर्वाधिक प्रभावित जिले हैं जहां गिरफ्तारी व बरामदगी दोनों अधिक हुई हैं।पुलिस अधिकारियों के अनुसार नशे के बढ़ने के कई कारण हैं। बेरोजगारी व खेती पर आर्थिक दबाव युवाओं को नशे की ओर धकेलते हैं।

    पड़ोसी देश से ड्रग्स की तस्करी आसानी से होने के कारण इसकी उपलब्धता बढ़ जाती है। युवाओं में खेल व सकारात्मक गतिविधियों की कमी भी उन्हें गलत रास्ते पर ले जा रही है। सामाजिक दबाव व साथियों का प्रभाव नशे को अपनाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है। परिवारों में संवाद व निगरानी की कमी से भी स्थिति बिगड़ रही है। कानून का ढीला पालन व भ्रष्टाचार नशे के फैलाव को और तेज कर रहा है।

    पहले सीमा के आसपास, कई किमी अंदर खेत में गिर रही खेपहाल के महीनों में सुरक्षा एजेंसियों ने पाया कि तस्कर अब छोटे ड्रोन की बजाय लंबी दूरी तक उड़ने वाले हाई-टेक ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। पहले खेपें अकसर सीमा के पास गिराई जाती थीं, अब वे सीमा के कई किलोमीटर भीतर गांवों व खेतों तक पहुंच रही हैं। इससे सुरक्षा बलों की चिंता और बढ़ गई है। ड्रोन से तस्करी पिछले कुछ वर्षों से देखी जा रही थी, लेकिन 2024–25 में मामलों में अचानक बढ़ोतरी दर्ज हुई।

    परंपरागत तरीकों की तुलना में ड्रोन इस्तेमाल करना अधिक सुरक्षित व तेज साबित हो रहा है। तस्कर खुद सीमापार आने की बजाय ड्रोन से माल भेजकर पकड़ से बच जाते हैं। पकड़े गए मामलों से सामने आया है कि ड्रोन से लाई गई खेपों में अधिकतर हेरोइन व अफीम जैसे नशे शामिल होते हैं। यह माल पहले सीमावर्ती गांवों के नेटवर्क तक पहुंचता है, फिर वहां से पंजाब के अलग-अलग जिलों में फैलाया जाता है।

    कई बार खेपों को दिल्ली व अन्य राज्यों तक भी भेजा जाता है। दस महीनों में पंजाब सीमा पर 181 ड्रोन पकड़े2024 में पूरे भारत में ड्रोन तस्करी के मामले 179 दर्ज किए गए। उनमें से पंजाब में नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए ड्रोन के जरिए कुल 163 मामले थे जिनमें लगभग 187 किलो हेरोइन बरामद हुई। बाकी राजस्थान में 15 और जम्मू-कश्मीर में एक मामला था। बीएसएफ ने 2024 के शुरुआती दस महीनों में पंजाब सीमा पर लगभग 181 ड्रोन बरामद किए थे।

    हाल ही में एक आपरेशन में, बीएसएफ ने अमृतसर और तरनतारन के गांवों में 6 ड्रोन बरामद किए-पांच डीजेआई मेविक 3 क्लासिक और एक डीजेआई एयर 3एस। इस कार्रवाई में लगभग 1.73 किलो हेरोइन भी जब्त हुई। प्राकृतिक ड्रग्स बनाम सिंथेटिक ड्रग्स दोनों ही श्रेणियों का इस्तेमाल समाज में बढ़ती लत व अपराध के लिए जिम्मेदार माना जाता है लेकिन इनमें बड़ा अंतर है। प्राकृतिक ड्रग्स सीधे प्रकृति से प्राप्त होते हैं। अफीम, गांजा व कोकीन जैसे पदार्थ पौधों से निकाले जाते हैं और लंबे समय से इस्तेमाल में हैं।

    इसके विपरीत, सिंथेटिक ड्रग्स पूरी तरह प्रयोगशालाओं में बनाए जाते हैं। इनका असर कहीं अधिक तेज व अप्रत्याशित होता है। यही कारण है कि इनकी लत जल्दी लग जाती है और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालती है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्राकृतिक ड्रग्स जहां सीमित प्रभाव छोड़ते हैं, वहीं सिंथेटिक ड्रग्स दिमाग व शरीर को लंबे समय तक नुकसान पहुंचाते हैं। कई बार इनमें नए-नए रसायनों का मिश्रण कर अलग-अलग रूप तैयार किए जाते हैं।